आखिर क्यों बहुसंख्यक हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ की खुली छूट है ? आखिर क्यों कानून, प्रशासन और हमारे माननीय इस ओर ध्यान नहीं देते? क्यों ऐसे अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही होती जो पहचान छुपाकर होटल, ढाबा या अन्य संस्थान चलाते है? आखिर क्यों छुपाई जाती है पहचान? क्या है पहचान छुपाने के पीछे मंशा? क्यों ऐसे लोगों के अपराधी नहीं मानना चाहिए?
देखिए कैसे पहचान की सच्चाई पता चलते ही लोग ढाबे से भागने लगे...? पहचान छुपाकर इनकी भावनाओं को आहत क्यों किया जाय? क्या हिंदुओं को अधिकार नहीं की वो किसके हाथ का खाएं और किसके हाथ का नहीं ? क्या संविधान हिंदुओं को इसका अधिकार नहीं देता? पहचान छुपाने वालों पर कठोर अपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए उनके विरुद्ध कानून बनाया जाना चाहिए ताकि हिंदुओं की भावनाओं उनकी आस्था पर चोट ना लगे..पूरे हिंदू समाज को एकजुट होकर ये मांग उठानी चाहिए