हम स्वयं ही समाज में हर गंदगियों को स्वीकार करके समाज को दूषित बना रहे है और फिर जब हमारे साथ कुछ होता है तो सोचते है को ऐसा क्यों हुआ...
अपने बच्चों के दिमाग में धीमा जहर जाने से रोकिए और धर्म ज्ञान तथा संस्कार भरिए अन्यथा सिवा पछतावे के कुछ नहीं मिलेगा