नोट : यह आर्टिकल थोड़ा दीर्घ है इसलिए इसे जब आपके पास समय हो तभी पढ़ें।
(1) प्रश्न :- लव-जिहाद किसे कहते हैं ?
उत्तर :- जब कोई मु&लमान पुरुष किसी गैर-मु&लमान युवती को बहला फुसला कर उसके शील को भंग करके उससे शादी करके उसको इ₹लाम में दीक्षित कर लेता है। इसी को 'लव-जिहाद' कहा जाता है।
(2) प्रश्न :- लव-जिहाद क्यों किया जाता है…?
उत्तर :- ताकि गैर-मु&लमानों का शीघ्रता से इ₹लामीकरण हो। क्योंकि जैसे किसी भी जाति को समाप्त करना हो तो उनकी स्त्रियों को दूषित किया जाता है। जिससे कि वो अपने समाज में अपना आत्मसम्मान खो दें और दूसरे समाज में जाने को बाध्य हो सकें। जिससे कि मु&लमान उस लड़की की सम्पत्ति का मालिक बने और उस लड़की के घर वाले सारी उम्र सिर उठाकर नहीं जी सकें। लव-जिहाद का मुख्य उद्देश्य है 'गजवा-ए-हिन्द' यानी कि भारत का इ₹लामीकरण।
(3) प्रश्न :- लव-जिहाद से इ₹लामीकरण कैसे होता है…?
उत्तर :- क्योंकि लव-जिहाद की शिकार युवती को उसका हिन्दू समाज अपनाने को तैय्यार नहीं होता है। और जिसके कारण उसके पास और कोई मार्ग शेष नहीं रहता तो वह मु&लमानी नर्क में जीने को विवश हो जाती है। तो इसी प्रकार जो उस लड़की के बच्चे होते हैं वो भी मु&लमान ही होते हैं। तो ऐसे मु&लमानों की संख्या वृद्धि होने से राष्ट्र शीघ्रता से इ₹लामीकरण की ओर बढ़ता है।
(4) प्रश्न :- लव-जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिति कैसी होती है…?
उत्तर :- लव-जिहाद की शिकार युवतियों की स्थिति नर्क से बदत्तर होती है। जैसा कि कई लड़कियों के मु&लमानों के साथ विवाह के बाद वो तलाक दे दी जाती हैं। और बाद में उनकों वैश्यावृत्ति के धंधों में धकेल दिया जाता है। या फिर उनको भारत की यात्रा पर आये अरब के शेखों को बेच दिया जाता है। जो उनको अपने साथ अरब देशों में ले जाते हैं। वहाँ उनको 'नमकीन बेगम' के नाम से सम्बोधित किया जाता है, उन्हें गुलाम बनाकर इनके साथ शोषण किया जाता है। कई बार उनको नेपाल के माध्यम से पाकिस्तान भेजा जाता है, या फिर असम, त्रिपुरा या बंगाल से उनको बांग्लादेश भेजा जाता है (बंगाल की कांग्रेस सांसद रूमी नाथ इसकी ताजा उदाहरण हैं जिसे एक जिहादी ने फेसबुक के जरिये शिकार बनाया और बांग्लादेश भेज दिया।) ऐसे तमाम उदाहरण हैं।
(5) प्रश्न :- राष्ट्र के इ₹लामीकरण होने से क्या हानी होंगी…?
उत्तर :- किसी भी राष्ट्र का इ₹लामीकरण होने से वहाँ कुरान का शरिया कानून लागू होता है, लोकतंत्र समाप्त हो जाता है और विचारों को रखने की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है। देश इ₹लाम की अत्यंत संकुचित और नीच विचारधारा में जकड़ा जाता है। जिसमें स्त्रियों का शोषण होता है। उनको पुरुषों की खेती समझा जाता है। जहाँ स्त्रियों का सम्मान नहीं वहाँ पुरुष निर्दयी हो जाते हैं। पुरुषों के निर्दयी होने से समाज में भारी क्षोभ और वासनामय वातावरण होता है। जहाँ सत्ता इ₹लाम के हाथ है वो देश एक बूचड़खाना होता है, जिसमें मानवों की कटती हुई लाशें, पशुओं की कटती हुई लाशें दिखाई देती हैं। स्त्रियों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है। मु&लमान पुरुष जब चाहे उसे तीन बार "तलाक तलाक तलाक" कह कर उससे पीछा छुड़ा लेता है। खून के रिश्तों में या सगे रिश्तों में ही शादियाँ होने से नये जन्मे बच्चों का मानसिक विकास नहीं होता है। और उस इ₹लामी देश में गैर-मु&लमानों को अपने-अपने धार्मिक कार्य करने की आज़ादी नहीं होती। उनकी स्त्रियों को बंदूकों या तलवारों की नोक पर उठा लिया जाता है (जैसा कि पैगम्बर मुहम्मद किया करता था यहूदी या ईसाई औरतों के साथ) उनके धार्मिक उत्सवों पर हमले किये जाते हैं, (जैसे कि मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों के साथ होता है।) स्त्रियों की आँखें नोच ली जाती हैं। किसी स्त्री के साथ कोई पुरुष जब बलात्कार करता है तो दंड पुरुष को नहीं स्त्री को ही दिया जाता है। स्त्रियों को ज़मीन में आधा गाड कर उन पर संगसार (पत्थरों की बारिश) की जाती है। चारों ओर मस्जिदों से मौलवियों की मनहूस अज़ानें सुनाई देती हैं, ज़रा ज़रा सी बातों पर मु&लमानी मौहल्लों में लड़ाईयाँ और खून-खराबा होता है, सड़कों पर लोगों के रास्ते रोक कर नमाजें पढ़ी जाती हैं। तो ऐसी अनेकों हानियाँ मानव समाज को उठानी पड़ती हैं। जो की देश के इ₹लामीकरण का परिणाम है।
(6) प्रश्न :- भारत में लव-जिहाद संचालित कैसे होता है…?
उत्तर :- (i) इसको संचालित करने के लिये पाकिस्तान, या अरब देशों से इनको वहाँ के शेखों द्वारा भारी पैसा आता है जो कि तेल के कुओं के मालिक होते हैं। ये पैसा उनको All India Muslim Scholarship Fund के रूप में दिया जाता है। प्रति माह इन मुस्लिम गुंडों को तैयार किया जाता है और हिन्दू लड़कियों को फंसाने के लिये इनको ₹8000 से ₹10000 मासिक वेतन दिया जाता है। तो मस्जिदों में किसी मोहल्ले के सभी मु&लमानों की मीटिंग रखी जाती है। जिसमें भाग लेने वाले अमीर से लेकर गरीब तबके के लोग आते हैं, जिसमें रेड़ीवाला, शॉल बेचने वाले कश्मीरी पठान, घरों में काम करने वाले, नाई, चमार आदि। इनको हिन्दू या सिक्ख ईलाकों में घूम घूम कर ये पता लगाने को कहा जाता है कि किस घर की लड़की जवान हो गई है। तो शाल/कालीन बेचने वाले कश्मीरी ये नजर रखते हैं और फिर ये लड़कियों की लिस्ट बनाई जाती है और जिहादी गुंडे जो कि दिखने में हट्टे कट्टे हों उनको तैयार किया जाता है, मोटरसाइकलें खरीद कर दी जाती हैं जिनको मस्जिदों में रखा जाता है। तो ये युवक अपनी कलाईयों पर मौलीयाँ (कलावा) बाँधकर साथ ही अपने नाम बदलकर हिन्दू नाम रख लेते हैं और हिंदू लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं। और अगर कोई लड़की दो सप्ताह के भीतर नहीं फंसती तो फिर ये उसे छोड़ कर लिस्ट की दूसरी लड़की पर अपने जिहाद को आज़माने के लिये निकल पड़ते हैं। तो ऐसे ही पूरे मोहल्ले में से कोई न कोई लड़की 'लव-जिहाद' का शिकार हो ही जाती है।
उत्तर :- (ii) दूसरा तरीका ये है कि Social Networking Sites जैसे कि Facebook, Instagram आदि पर ये लोग नकली ID या फिर अपनी असली ID से ही हिन्दू लड़कियों को Request भेजते हैं। और जैसे कि इनकी Training होती है वैसे ही ये लोग इन लड़कियों को फँसाने के लिये तरह-तरह के मैसेज भेजते हैं। और वे लड़कियाँ इनके मोह-जाल में फँसकर अपना सब कुछ गंवा देती हैं।
(7) प्रश्न :- क्या इसके सिवा और भी तरीके हैं लव-जिहाद करने के या यही हैं…?
उत्तर :- बहुत से तरीके हैं मगर सभी के बारे में जान पाना बेहद कठिन है पर कुछ और बताते हैं। ये मुस्लिम जिहादी गुंडे स्कूलों, कालेजों के चक्कर लगाते रहते हैं और लड़कियों के पीछे पड़ जाते हैं। या फिर स्कूलों में पढ़ने वाले मुस्लिम युवक अपनी मुस्लिम सहेलियों की सहायता से उनकी हिन्दू सहेलियों से दोस्ती करते हैं और धीरे-धीरे अपनी गतिविधियां शुरू कर देते हैं। या फिर कालेजों और स्कूलों के आगे मोबाईल की दुकानें मु&लमानों के द्वारा खोली जाती हैं। जिसमें जब हिन्दू, बौद्ध या जैन आदि लड़कियाँ फोन रिचार्ज करवाने जाती हैं, तो उनके नम्बरों को ये गलत इस्तेमाल करके आगे जिहादियों को बाँट देते हैं। जिससे कि वे लोग गंदे-गंदे अश्लील मैसेज भेजते हैं। पहले तो ये ल़डकियां उसकी उपेक्षा करती हैं पर लगातार आने वाले मैसेजों को वे ज्यादा समय तक टाल नहीं पातीं। जिससे कि वो कामुक बातों में फँसकर अपना आपा खो देती हैं और अपना सर्वस्व जिहादियों को सौंप देती हैं। और ये सब यूँ ही नहीं होता है बल्कि इन जिहादियों को ये सब करने की ट्रेनिंग दी जाती है कि किस प्रकार से लड़की की मानसिकता को समझकर उसे कैसे फँसाना है। तो ऐसे ही छोटे-मोटे और भी तरीके हैं, परन्तु मुख्य यही हैं। कई बार तो देखा गया है कि मु&लमान शादी-शुदा और उम्रदराज भी चेहरा चमकाकर नौजवान बनकर भी लव-जिहाद में शामिल होते हैं।
(8) प्रश्न :- ये लव-जिहाद की कुछ उदाहरण दीजिये।
उत्तर :- बड़ी-बड़ी उदाहरणें आपके सम्मुख हैं —
बॉलीवुड मायानगरी में मु&लमान अभिनेताओं की केवल हिन्दू पत्नियाँ ही क्यों होती हैं…? शाहरुख खान, आमीर खान, फरदीन खान, सुहैल खान, अरबाज़ खान, सैफ अली खान, साजिद खान आदि कितने ही नाम हैं जिनकी शादियाँ हिन्दू लड़कियों से ही हुई हैं। इनमें से किसी को भी मु&लमान लड़कियाँ क्यों नहीं पसंद आईं…? आमिर खान और सैफ अली खान की शादी तो एक की बजाये दो-दो हिन्दू लड़कियों से हुई। और इन्हीं को आदर्श मानकर हिन्दू लड़कियाँ मु&लमानों के चंगुल में फँसकर अपनी अस्मिता खो देती हैं। "एक फिल्म आई थी जिसमें अभिषेक बच्चन का नाम आफताब होता है और वो अजय देवगन की बहन का किरदार निभा रही प्राची देसाई से प्रेम करता है। तो अजय देवगन उसे रोकता है तो वो नीच लड़की सैफ और शाहरुख आदि का उदाहरण देती है और उनको अपना आदर्श स्वीकार करती है।" तो ये देखकर हिन्दू लड़कियों के मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है ज़रा विचार कीजिये। तो ऐसे ही इन लड़कियों को परिणाम की परवाह नहीं होती और इनको हर जिहादी सलमान या शाहरूख ही दिखता है। और अपना जीवन बर्बाद कर देती हैं। इस लव-जिहाद के लिए विदेशों से और फिल्मी दुनिया से और कई मुस्लिम कारोबारी और इस्लामिक संस्थान फंडिग करते हैं, कई राजनीतिक लोग भी खुलेआम इनका समर्थन करते हैं। ये हर जगह इतना पैसा खर्च करते हैं ताकि लोग इस पर न बोल सकें लेकिन आज हम सभी हिन्दुओं को इस पर विशेष ध्यान देना होगा।
(9) प्रश्न :- ये सब करके आखिर इन मु&लमानों को मिलता क्या है…?
उत्तर :- इनको ये सब करने के लिये मासिक वेतन और भारी ईनाम मिलता है। दूसरा कारण है मजहबी जुनून! क्योंकि इ₹लाम की शिक्षा ही नफरत और कत्ल की बुनियाद पर टिकी है और मस्जिद के मौलवियों के द्वारा झूठी मुहम्मदी जन्नत का लालच दिया जाना। वो कहते हैं कि अगर कम से कम एक हिन्दू लड़की से शादी करो और बदले में सातवें आसमान की जन्नत पाओ। तो चाहे वो जिहाद काफिरों की खेती को समाप्त करने का ही क्यों न हो। इनके अरबी अल्लाह ने इनके लिये जन्नत तैय्यार रखी है। जिसमें फिर एक-एक मु&लमान 72 पाक साफ औरतों का आनंद लेता है।
इ₹लाम में वैसे बहुत प्रकार के जिहाद हैं पर सबसे मुख्य दो प्रकार के जिहाद हैं —
- जिहाद-ए-अकबर (बड़ा जिहाद)
- जिहाद-ए-असगर (छोटा जिहाद)
ये लव-जिहाद जो है, वो जिहाद-ए-अकबर का ही एक बड़ा स्वरूप है।
(10) प्रश्न :- ये लव-जिहादियों को हिन्दू लड़कियों से शादी करने या नापाक करने का क्या ईनाम मिलता है…?
उत्तर :- ये निम्नलिखित ईनाम गैर-मुस्लिम लड़कियों को फँसाने के लिये घोषित किया है —
- सिक्ख लड़की = 9 लाख
- पंजाबी हिन्दू लड़की = 8 लाख
- हिन्दू ब्राह्मण लड़की = 7 लाख
- हिन्दू क्षत्रिय लड़की = 6 लाख
- हिन्दू वैश्य लड़की = 5 लाख
- हिन्दू दलित लड़की = 2 लाख
- हिन्दू जैन लड़की = 4 लाख
- बौद्ध लड़की = 4.2 लाख
- ईसाई कैथोलिक लड़की = 3.5 लाख
- ईसाई प्रोटैस्टैंट लड़की = 3.2 लाख
- शिया मु&लमान लड़की = 4 लाख ईनाम
इनसे थोड़ा कम या अधिक हो सकता है पर ज्यादा भेद नहीं है।
(11) प्रश्न :- ये लव-जिहाद के ईनाम की घोषणा और संचालन कहाँ से होता है…?
उत्तर :- केरल का मालाबार ही इसका मुख्य संचालन स्थान है। परन्तु अब उसकी शाखायें पूरे भारत में फैल चुकी हैं क्योंकि एक समय पहले केवल केरल में ही लव-जिहाद के 5000 से अधिक मामले कोर्ट के सामने आये थे। तो पूरे भारत में कितने ही ऐसे मामले होंगे…?
(12) प्रश्न :- क्या लव-जिहाद में केवल हिन्दू लड़कियों को ही लक्ष्य किया जाता है या अन्य को भी…?
उत्तर :- भारत में हिन्दू बहुसंख्यक हैं जिस कारण पहला लक्ष्य हिन्दू लड़कियाँ ही होती हैं, परन्तु इससे अतिरिक्त दूसरे मत (बौद्ध, जैन, वाल्मिकी, सिक्ख, ईसाई) की लड़कियाँ भी लक्ष्य की जाती हैं, क्योंकि इ₹लाम की विचारधारा बहुत ही कुंठित और संकुचित है जिसमें कि दूसरे मत पंथों के विरुद्ध उग्र घृणा का भाव विद्यमान है, और स्त्रियों को तो इ₹लाम में जानवरों से भी बदत्तर समझता है।
(13) प्रश्न :- आखिर हिन्दू लड़कियाँ ही क्यों लव-जिहाद में फंस जाती हैं…? क्या इनमें दिमाग नहीं होता…?
उत्तर :- इसके ये मुख्य कारण हैं —
- (1) हिन्दू अपने घरों में धार्मिक वातावरण नहीं रखता।
- (2) हिन्दू अपने बच्चों को वैदिक मत की श्रेष्ठता और अवैदिक मत की निकृष्टता कभी नहीं बताता।
- (3) हिन्दू अपने इतिहास के पुरुषों एवं स्त्रियों की जीवनीयों तथा उनके बलिदानों के विषय में अपने बच्चों को कभी नहीं बताता।
- (4) हिन्दू युवा अपने वीर योद्धाओं के बजाय बॉलीवुड के नायकों को अपना आदर्श मानता है।
- (5) हिन्दुओं के अधिकांश घरों में सास-बहु के सीरियल चलने से वातावरण और दूषित हो जाता है।
- (6) हिन्दू अपने बच्चों को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाता है। और इसके विपरीत मु&लमान अपने बच्चों को दूसरों के प्रति नफरत सिखाता है। जिस कारण ये हिन्दू लड़कियाँ मु&लमान लड़कों से घुलने-मिलने में झिझकती नहीं।
- (7) आज आप देखेंगे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम पर ज्यादातर हिन्दू लड़कियों की प्रोफाइल उन्होंने धार्मिक पेजों की बजाये… प्यार, टीवी सीरियल, इश्क, बॉलीवुड मसाला, माइकल जैक्सन, शाहरुख, सलमान, रितिक आदि के पेज लाईक किये होते हैं। और उनकी Friend List में मु&लमान युवकों की संख्या अधिक पायी जाती है।
(14) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को लव-जिहाद के विषय में कोई समझाता क्यों नहीं…?
उत्तर :- जब आप इनको समझाने लगते हैं तो ये लड़कियाँ अक्सर नीचे लिखी बातें बोलती हैं —
- आप तो नफरत फैलाते हो…?
- क्यूँ मुस्लिम भी तो ईंसान ही होते हैं…?
- तो इसमें क्या बुराई है…?
- हमको इससे क्या लेना-देना…?
- हमें अपनी सोच बदलनी चाहिये, और इसी जातिवाद को खत्म करके Development करनी चाहिये।
- आपकी सोच पिछड़ी हुई है, देखो Dude आगे बढ़ो और इतनी नफरत मत फैलाओ।
- मुस्लिम बनने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि पैगंबर मोहम्मद भी तो भगवान ही थे।
- Hey You अपना काम करो, Mind Your Own Business.
- You Know Dr. Abdul Kalam भी मुस्लिम हैं।
- You Remember जोधा-अकबर की Great Love Story.
अब आप स्वंय जान लीजिये इन हिन्दू लड़कियों की मानसिकता कितनी नीच और गिरी हुई। जिस जाति की स्त्रियों को अपने-पराये का भेद ना पता हो, तो वो लव-जिहादियों का शिकार नहीं होंगी तो और क्या होंगी…?
(15) प्रश्न :- इन हिन्दू लड़कियों को लव-जिहाद के बारे में आखिर समझाया कैसे जाये…?
उत्तर :- (i) पहला मार्ग : इस कार्य को आप अपने ही घर से प्रारंभ करें। जैसा कि पहले भी कहा गया है कि जब भी आप अपने घर में अपनी सगी बहन या फिर रिश्ते की बहनों के सामने बैठे हों तो ये लव-जिहाद की चर्चा अवश्य ही छेड़ें, चाहे उनको ये बात अच्छी लगे या न लगे। क्योंकि जब मरीज़ डाॅक्टर से ईलाज करवाता है तो उसको भी कड़वी दवाई अच्छी नहीं लगती। पर वही दवा उस मरीज के भले के लिये होती है। तो इसी प्रकार ये चर्चा आपकी बहनों के लिये हितकारी है। उनके कानों में यह विषय अवश्य ही पहुँचना चाहिए। तो ऐसे में जब भी रेलगाड़ी या बस में बैठे हुए किसी अजनबी से बातचीत शुरू हो ही जाये तो उससे भी जानबूझ कर इस विषय में किसी न किसी बहाने से लव-जिहाद की चर्चा छेड़ दें। ताकि वो अपने घर की स्त्रियों की रक्षा के बारे में सचेत हो जाये।
(i) दूसरा मार्ग : मेरे इस लेख को Facebook, WhatsApp पर हिन्दू लड़कियों के मैसेज बॉक्स में डाल दें। क्योंकि मान लो इस काम को एक राष्ट्रवादी एक दिन में कम से कम 100 लड़कियों के इनबॉक्स में ये लव-जिहाद वाली प्रश्नोत्तरी को कॉपी/पेस्ट करे तो फिर मान लो ऐसे 100 राष्ट्रवादी हों तो एक दिन में कम से कम 100×100 = 10000 अलग-अलग हिन्दू लड़कियों के मैसेज बॉक्स में भी ये जानकारी पहुँचेगी। तो अगर उसमें से 5000 लड़कियाँ आपको ब्लॉक कर देती हैं। तो बाकी 5000 में से 2500 इस लेख की उपेक्षा करती हैं। तो 2500 उसको पढ़ेंगी और इनमें से मान लो 1500 लड़कियाँ पढ़कर भी सहमत नहीं होतीं तो बाकी 1000 उससे सहमत होंगी ही होंगी।
तत्पश्चात ये 1000 हिन्दू लड़कियाँ इ₹लामी लव-जिहाद से सतर्क हो जायेंगी। तो ऐसे ही 1000 प्रतिदिन हिन्दू लड़कियाँ सचेत हों तो एक माह में कितनी होंगी (30×1000 = 3000) प्रतिमाह हिन्दू लड़कियाँ लव-जिहाद के बारे में सतर्क रहेंगी एवं मु&लमान जिहादियों से सावधान रहेंगी और अपनी सहेलियों को भी सावधान करेंगी। तो ये बहुत ही कारगर तरीका है और फिर इस लेख को आप अपनी-अपनी प्रोफाइल पर भी डालें और हिन्दू लड़कियों को इसमें Tag करें और कृपया इसको अधिक से अधिक शेयर करें।
(16) प्रश्न :- क्या कोई और भी तरीका है लव-जिहाद को रोकने का…?
उत्तर :- वैसे तो बार-बार कहा जा रहा है कि लव-जिहाद की जानकारी ही सबसे बड़ी बात है जो कि आज हिन्दू समाज को नहीं है। जानकारी किसी भी माध्यम से पहुँचायें पर पहुँचायें अवश्य, क्योंकि शायद आपकी कोई हिन्दू बहन इन जिहादी राक्षसों के चंगुल में फँसने से बच जाये।
(17) प्रश्न :- क्या इस लव-जिहाद की कोई एतिहासिक प्रमाणिकता भी रही है…?
उत्तर :- भारत के मध्य काल में मुगल सेनाएं जिस भी हिन्दू घर में जब चाहें घुस जाते थे। और उनकी बेटियों या औरतों को उठा ले जाते थे और उनका शील भंग करके फिर से छोड़ जाते थे। तो बहुत से बादशाहों ने तो सुन्दर सुन्दर हिन्दू लड़कियों को टके-टके के भावों में भी कसूर, लाहौर या काबुल के बाज़ारों में बेचा था। तो इसके उपरान्त मुहम्मद बिन कासिम जो कि पहला यवन आक्रमणकारी था उसने भी यहाँ भारत से 5 लाख हिन्दू औरतों को अरबी बाज़ारों में ले जाकर बेचा था। और अब वर्तमान की बात करें तो पाकिस्तान मुस्लिम बाहुल्य होने से वहाँ हिन्दू, सिक्ख, ईसाई लड़कियों को जबरन बंदूकों की नोक पर उठाया जाता है। जब इनकी लड़कियाँ जवान होती हैं तो वहाँ के पठान और पश्तून इनके पीछे हाथ धोकर पड़ जाते हैं और मौका पाते ही इनका अपहरण कर लेते हैं फिर बलात्कार के बाद इनको मु&लमान बनाकर किसी भी अधेड़ उम्र के आदमी से या किसी से भी शादी कर दी जाती है। पाकिस्तानी बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में हिन्दुओं और गैर-मु&लमानों के प्रति नफरत करने की शिक्षा दी जाती है।
(18) प्रश्न :- अगर लव-जिहाद का विषय इतना ही महत्वपूर्ण है तो हिन्दू समाज इस ओर ध्यान क्यों नहीं देता…?
उत्तर :- जानकारी के अभाव के कारण, आलस्य के कारण, या थोथी सेक्युलरिज्म के कारण हिन्दूओं की शिक्षा ने ही उसे अधकचरा और सेक्युलर बना दिया है। जिससे की कभी-कभी समस्या के पता होने के बावजूद भी वो आँख मूंद कर रहता है। किसी हिन्दू की पहचान करनी हो तो उससे बात करना और वो दो ही शब्द बोलना जानता है, "तुझको क्या…?" या "मुझको क्या…?"
इसी सेक्युलरिज्म के कारण ही ये हिन्दू समाज इतना नपुंसक बन गया है। तो इसको ना अपने धर्म रक्षा की चिंता है, न संस्कृति की चिंता है, न देश की चिंता है, न अपनी संतानों की नैतिक शिक्षा की चिंता है, न अपनी जाती रक्षा की चिंता है। बस ये हिन्दू यही रट लगाता है— तुझे क्या…? मुझे क्या…? हमको क्या…? तुमको क्या…? हमें क्या लेना…? तुम्हें क्या लेना…? मुझे क्या करना…? तुझे क्या करना…? इत्यादि।
(19) प्रश्न :- अगर हमारी दृष्टि में कोई हिंदू लड़की लव-जिहाद में फँस गई है, तो हमें क्या करना चाहिये…?
उत्तर :- अगर आप उसे समझा सकते हैं तो समझायें, निःसंकोच होकर उसके घर जायें, उसके माता-पिता से इस बारे में बातचीत करें और उनको लव-जिहाद के विषय में विस्तारपूर्वक बतायें। अगर आप नहीं समझा सकते तो पास ही किसी क्रियाशील संगठन जैसे; [ आर्य समाज, स्वयंसेवक संघ, शिव सेना, बजरंग दल ] आदि से सम्पर्क करें और उनको इसकी सूचना दें। अगर आपकी बेटी या बहन इस चक्कर में फँस रही है तो उसे गुस्से या जबरदस्ती से न समझायें। क्योंकि ऐसा करने से वो घर छोड़कर भी भाग सकती है। ऐसी ट्रैनिंग लव-जिहादियों को मिली होती है कि वो पूरी तरह से इनको सम्मोहित कर लेते हैं कि ये हिन्दू लड़कियाँ घर तक छोड़ने को तैयार हो जाती हैं और भारत का कानून भी यह कहता है कि अगर लड़की बालिग हो तो वो जहाँ चाहे विवाह कर सकती है। तो इसी का लाभ ये मति भ्रष्ट लड़कियाँ सदैव उठाती हैं। अतः अपने घरों में धार्मिक वातावरण बनाने के प्रयास करें। ऋषि दयानंद सरस्वती कृत अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश भी पढ़ायें जिसमें उन्होंने संसार के मुख्य मत पंथों की वैदिक धर्म से तुलनात्मक समीक्षा की हुई है तथा अवैदिक मतों का खण्डन भी किया है उसका प्रचार करें।
(20) प्रश्न :- क्या लव-जिहाद से किसी हिन्दू लड़कियों को बचाया भी गया है या नहीं…?
उत्तर :- हाँ निश्चित ही ऐसा हुआ है। मैं महाराष्ट्र का उदाहरण देता हूँ सभी जानते हैं कि वहाँ बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिव सेना सक्रीय है। और वहाँ के रहने वाले मु&लमानों को दबा रखा है, उनके अल्लाह-हू-अकबर के जुनून को ठंडा किया हुआ है। वहाँ नासिक के किसी रेस्टोरेंट में एक मु&लमान किसी हिन्दू लड़की के साथ बैठा था इसकी भनक शिव सैनिकों को लगी तो वो वहाँ गये और जमकर उस जिहादी की धुनाई कर दी और ऐसे ही महाराष्ट्र में मौलवियों ने फतवा निकाला हुआ था कि "हिन्दू लड़कियों को छेड़ो और जन्नत पाओ।" तो शिव सेना ने स्कूलों कॉलेजों की घेराबंदी की हुई है और यदी कोई सरफिरा मजनू वहाँ घूमता हुआ या घात लगाता हुआ पकड़ा जाता तो उसकी पिटाई करके जन्नत के नजारे दिखा दिये जाते हैं। इस आन्दोलन का असर हुआ कि महाराष्ट्र में लव-जिहाद की घटनाओं में भारी घिरावट आयी है।
तो इसी कारण ये मु&लमान शिव सैनिकों या संघियों को भगवा आतंकी कहते हैं और बेचारे कहेंगे भी क्या…? क्योंकि इनके मंसूबो का नाकाम करके इनको आतंकित जो कर रखा है। शिव सेना में दो फांट हो गया उद्धव गुट तो उन इस्लामिक संगठन के तलवे चाटने लगा। हिन्दू संगठन हिन्दू लोगों की लड़ाई तभी लड़ पायेंगे जब सभी हिन्दू किसी संगठन से जुड़े रहें और सभी की आवाज एक हो। केरल में संघ के द्वारा करीब 171 हिन्दू लड़कियों को बचाया गया है। ऐसे और भी कई मामले हैं। यही कारण है कि ये मुसल्ले सनातन धर्म की रक्षा करने वाले संगठनों को आतंकवादी संगठन बताते हैं। अरे भाई सीधी सी बात है, "जिन्होंने ऐसे दहशतगर्दों को आतंकित कर रखा हो वो इन मु&लमानों की नजर में आतंकवादी नहीं तो और क्या हैं…?
नोट :- कृपया इस संदेश को जन जन तक पहुंचाने में मेरी मदद करें।
साभार
🔏 लेखक : पंकज सनातनी
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