मुर्शिदाबाद में जो हुआ वो सबने देखा, किसी को लगा कि ये सब वक्फ अमेंडमेंट बिल के विरोध में हो रहा है तो कोई समझता है कि ये हिंदुओं का नरसंहार है लेकिन वास्तव में ये दंगे पूरे देश के भविष्य के लिए एक बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रह है. ये देंगे देश के विरुद्ध एक मानसिकता का नंगा प्रदर्शन थे, वर्ना एक सैनिक के घर पर टार्गेट कर बन नहीं मारे जाते और उसकी वर्दी को जलाया न जाता
सोचिए एक सैनिक अपने प्राणों की परवाह किए बिना अपना सब कुछ दाव पर लगाकर देश की सीमा पर निष्पक्ष रूप से देश के नागरिकों की रक्षा के लिए लड़ता है उसी को एक मानसिकता निशाना बनाती है तो उसे आप क्या कहेंगे? क्या ये मानसिकता देशद्रोही "आतंकी" मानसिकता नहीं.? बंगाल में मुसलमानों ने जो किया वो सभी ने देखा है लेकिन अगर आज भी इस देशद्रोही हरकत पर सब खामोश रहेंगे तो आपकी खामोशी किसी गद्दारी से कम नहीं होगी।