सुधांशु जी ने बहुत पते की बात सटीक उदाहरण के साथ कहीं है जो इन बातों पर बारीकी से ध्यान देगा उसे समझ जाएगा क्या आखिर बौद्धों का असली शत्रु कौन है और आज भी वह किससे दोस्ती (कट्टरपंथियों) और किस्से घृणा (हिंदुओं) करने की गलती कर रहे हैं
दुर्भाग्य है कि जिनके जो विनाशक है वो उनकी ही गोद में बैठे है और जो उनके जो शुभचिंतक है उनसे शत्रुता मन में पाले बैठे है। बौद्ध मत को सोच समझकर हिंदुओं से अलग करने का खेल हुआ और धूर्त जेहादी कुछ नीले कबूतरों के साथ मिलकर ये करने में सफल भी हो रहे है लेकिन आज नहीं तो कल इन बौद्धों को अपनी जड़ों को तरफ लौटना ही होगा