दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुशार घटना 27 मार्च 25 की है जब कुछ पुलिसवाले नकासा मोहल्ले में कबाब खाने गए तो उनको मुस्लिम युवकों से बहस हो गई और बस मौका मिलते ही मुसलमानों ने भीड़ इकट्ठी करके पुलिस वालों का ही क़बाब बना दिया। कहने को पुलिस वालों ने दारू पी रखी थी और पैसों को लेकर कुछ अनबन हुई तो क्या पुलिस वालों को या किसीको भी पीटा जाएगा? उसपर पत्थर फेंके जायेंगे? ऐसा केवल 1 मानसिकता करती है क्योंकि उसे न नैतिकता का भान है न, कानून प्रशासन का भय.. सोचिए ये मानसिकता समाज को कितना गंदा कर रही है
वैसे ये कर्मफल है.. क्योंकि पुलिस खुद ही तो इनकी जी हजूरी में लगी रहती है और जब भी बल प्रयोग करना होता है तो हिंदुओं पर करती है अब बेचारे हिंदू तो नैतिकता के बोझ तले भी दबे हैं और कानून प्रशासन के सम्मान में भी लगे हैं लेकिन कट्टरपंथी इन दोहरे रवैए वालों की बराबर धुलाई करते हैं... ये सब सीख है इस प्रशासन के लिए को समय रहते सुधर जाए वर्ना ये कट्टरपंथी किसी लायक नहीं छोड़ेंगे.. न कानून को ना देश को
दैनिक भास्कर के अनुशार पुलिस वाले कबाब खाने गए थे लेकिन अमर उजाला के अनुशार दबिश के लिए... अब कौन सही है कौन गलत ये तो जानने वाले जानें लेकिन सच ये है कि पुलिस वालों को जेहादियों ने पीटकर बता दिया कि वो कानून से कितना डरते हैं या कितना कानून का सम्मान करते हैं
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