डॉ कफिल , वही जो गोरखपुर में मेडिकल कॉलेज में पोस्टेड थे और जिनके रहते सैकड़ो बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस से होती थी जो अस्पताल के ऑक्सीजन सिलेंडर और दूसरे तमाम साजो समान अपने निजी अस्पताल में शिफ्ट किए थे
और और उन्हें जब कई बच्चों के मौत के केस में गिरफ्तार किया गया था उनके खिलाफ तमाम सबूत थे और सबसे बड़ा सबूत यह था कि उनके निजी अस्पताल में सरकारी ऑक्सीजन सिलेंडर मिले थे और कई सीसीटीवी फुटेज थे जिसमें वह मेडिकल कॉलेज के सरकारी सामानों को अपने निजी अस्पताल में ले जाते थे
उन्हें जमानत इसी जस्टिस यशवंत वर्मा ने दिया था जिनके घर पर जले हुए नोटों के बोरे मिले थे और हां डॉक्टर कफ़ील खान को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से हटाए जाने के बाद गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में एक भी बच्चे की मौत इंसेफेलाइटिस से नहीं हुई। अब आप खुद ही समझ जाइए की बच्चों के मौत का जिम्मेदार कौन था