आज एक भाई मिले... यादव थे। मेरा यज्ञोपवीत शिखा देख थोडे क्रोध के लहजे में बोले कि हम पर ब्राह्मणों सवर्णों ने 5000 साल बहुत जुल्म किये। आप इसका जवाब दे सकते हैं कि हमारी क्या गलती थी?
मैने कहा हालांकि यह तथ्यविहीन बात है लेकिन फिर भी पूछना चाहता हूँ कि क्या आप भी...
इतना सुनना था कि तपाक से बोले कि हम यादव हैं और हम शूद्र में आते हैं। ब्राह्मणों ने शूद्रों पर 5000 साल बहुत सितम किये।
मैने पूछा कि क्या आपको पता है कि भगवान श्री कृष्ण जी का शासन कितने वर्ष पहले हुआ करता था?
बोले नहीं पता।
मैने पूछा कि क्या शूद्र को आप दलित मानते हैं।
बोले "देखो मनुस्मृति ने जिन्हें शूद्र कहा उनको ही आज OBC, SC, ST कहा गया है।"
मैं भाई साहब का मानसिक स्तर समझ गया l
मैने आराम से पूछा " फिर तो भाई साहब आप लोगों पर SC ST ACT भी काम नहीं करता होगा?"
सुनकर एकदम सकपका गये क्योंकि उनके परिवार का एक लडका जेल में बंद है।
मेरा दूसरा सवाल आया तो खडे हो गये...
मैने पूछा मंडल आयोग आने व आपको OBC श्रेणी में डाले जाने से पहले आप किस श्रेणी में आते थे? क्या आप SC केटेगरी में आते थे?
बोले भाईसाहब इतना नहीं पता हमें बस ये कुछ महीने पहले स्वामी प्रसाद मौर्या और रावण से यह बात पता लगी जिसे बडे पैमाने पर फैलाया जा रहा है।
अब सब पत्ते साफ होने लगे।
मैने पूछा कि जिस काल में स्वयं योगेश्वर श्री कृष्ण जी का शासन हो उस समय आप लोगों पर कोई अत्याचार कैसे कर सकता है जबकि ब्राह्मण स्वयं उनके ज्ञान के आगे नतमस्तक होते थे?
याद रखिए मंडल आयोग पारित होने से पहले सभी OBC जनरल केटेगरी में आते थे।
आजादी के समय सर्वाधिक रियासतों के मालिक आज के OBC, SC, ST थे तो मालिक क्या जुल्मों सितम करके बनाया जाता था? क्या उन्होंने अपने समाज पर अत्याचार होने दिये?
सवर्ण का अर्थ होता था वर्णाक्षर ज्ञान प्राप्त व्यक्ति... अवर्ण अर्थात् वर्णाक्षर ज्ञान विहीन व्यक्ति... ना कि गोरा और काला रंग। यह अर्थ का अनर्थ हमारे विधानवेत्ताओं ने ही किया है। जिसका सर्वाधिक दुरुपयोग आजकल के नीलटे करते हैं कि सवर्ण अर्थात् रंग सहित मतलब सफेद गोरे रंग वाले और अवर्ण मतलब बिना रंग वाले काले होते हैं। जबकि यह बात लॉजिक से विपरीत है।
क्योंकि वर्ण का अर्थ अगर आप रंग लेंगे तो सफेद खुद अवर्ण अर्थात् बिना किसी रंग वाला होता है, जबकि जिसको अवर्ण कहा जा रहा है वह रंग सहित है।
सवर्ण अवर्ण कोई केटेगरी नहीं बल्कि शिक्षा का वर्गीकरण मात्र है।
अंत में सबसे खास बात कि अगर OBC SC ST सब एक केटेगरी हैं तो इन सबको सबसे पहले SC ST एक्ट से बाहर रखा जाए व सारे केस वापस लिये जाएं।
भाईसाहब लास्ट तक कुछ नहीं बोले। इस दो घंटे की बातचीत से यह मालूम पडा कि हिन्दुओं के बीच नया जहर बोया जा चुका है।
इस नये जातिवादी जहर से बचें व अपने लोगों को भी बचाएं। -

