ऑस्ट्रेलिया के सरकारी हेल्थ सिस्टम की एक अफगान मूल की मुस्लिम महिला डॉक्टर और एक सीरियन मूल का मुस्लिम मेल नर्स एक वीडियो चैट पर स्वीकार किया कि हमारे पास यदि कोई मरीज जाता है और यदि हमें पता चलता है कि यह यहूदी है या इजरायली है तो हम उसे जहर देकर मार देते हैं या हम उसे गलत दवा देते हैं। अब इस वीडियो के सामने आने के बाद पूरे ऑस्ट्रेलिया में हड़कंप मच गया
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह दोनों ऑस्ट्रेलिया में एक शरणार्थी के तौर पर 10 साल की उम्र में आए थे ऑस्ट्रेलिया में रहकर इन्होंने पढ़ाई किया आस्ट्रेलिया ने रहम कर इन्हें नागरिकता दिया लेकिन यह सपोले या ऑस्ट्रेलिया के लोगों को ही मार रहे हैं। इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलिया वालों ने जिहादियों के बहिष्कार का निर्णय लिया है। भारत के लोग कब समझेंगे???
अब ऑस्ट्रेलियाई लोगों की भरी मांग पर उन्हें यह आजादी दे दी गई कि वह किस धर्म के डॉक्टर से अपना इलाज करना चाहते हैं यानी अगर कोई ऑस्ट्रेलिया का व्यक्ति मुस्लिम डॉक्टर से अपना इलाज नहीं करना चाहता है तो उसे छूट दे दी गई है क्योंकि यह घटना सामने आने के बाद वहां के लोगों ने साफ कह दिया है कि हम किसी भी मुस्लिम डॉक्टर से या मुस्लिम नर्स से अपना इलाज नहीं करवाएंगे
और हां ऑस्ट्रेलिया में यह नफरत संघ यानी आरएसएस की वजह से नहीं फैली है ना विश्व हिंदू परिषद की वजह से फैली है ना नरेंद्र मोदी की वजह से फैली है