नए-नए जाति विशेषज्ञ बने राहुल गांधी गिन लें जनेऊ। कर लें गणना। यहां सावरकर का “विराट हिंदुत्व” साकार है, जिसमें वे सभी समाहित हैं, जिनकी पुण्य भूमि और पितृ भूमि भारत है। अभूतपूर्व सामाजिक विविधता। आज कुंभ नहा रही यूपी कैबिनेट को देखिए। छुआ-छूत किधर है? किसका शरीर किससे छू रहा है? एक ही पानी है। एक ही घाट है।
जाति समस्या है, पर समाधान की आंतरिक व्यवस्था है। फिर संविधान तो है ही। जो सबका रक्षक है। इन नहाने वालों में सबसे ज़्यादा ओबीसी और एससी हैं। यहाँ तो आज सभी नहीं आए हैं पर पूरा आँकड़ा देखें तो 2022 में शपथ 52 का हुआ। 29 ओबीसी और एससी हैं। केंद्रीय कैबिनेट में भी अभूतपूर्व सामाजिक विविधता है। प्रधानमंत्री खुद ओबीसी हैं। जबकि 2014 में मनमोहन सिंह कैबिनेट में सिर्फ़ एक ओबीसी मंत्री थे।
यूपी के इतिहास में कांग्रेस ने एक भी ओबीसी सीएम नहीं बनाया। बीजेपी के पहले सीएम दिवंगत कल्याण सिंह ही ओबीसी लोधी जाति के थे। इतनी विविधता कांग्रेस नहीं सोच सकती। जबकि सपा तुष्टिकरण में उलझ जाती है। सपा के सभी सीएम एक ही जाति के रहे।