बहुत समय पहले की बात है, घास के मैदानों से भरा एक जंगल था जिससे भैंसों का एक झुण्ड गुजर रहा था. झुंड अभी कुछ ही आगे बढ़ा था कि अचानक शेरों ने उनपर हमला कर दिया.
बाकी भैंसे तो बच गयीं पर एक बेचारी भैंस झुण्ड से अलग हो गयी. शेर उसका पीछा करने लगे और वो घबराहट के मारे इधर-उधर भागने लगी… कभी दाएं…. कभी बाएँ…कभी ढलान पर … तो कभी चढ़ाई पर…
भैंस इतनी डरी हुई थी कि उसने पलट कर देखा तक नहीं कि शेर कब के वापस लौट गए हैं…उसे तो बस अपने जान की फ़िक्र थी! काफी देर तक भागने के बाद जब वो रुकी तब उसे एहसास हुआ कि वह जंगल से बाहर निकल एक गाँव में आ चुकी है.
अगले दिन जंगली कुत्तों का झुण्ड घास के बीच मिल रही उस भैंस की गंध का पीछा करते-करते उसी रास्ते पर चल पड़ा.
अगले दिन भेडें भी घास के बीच बने रास्ते को देखकर उसी पर चल पड़ी..
फिर क्या था गाँव वाले भी उसे रास्ते जंगल आने जाने लगे… धीरे-धीरे उस रास्ते पर बैल गाड़ियाँ चलने लगीं जिसपर किसान लकड़ियाँ काट कर गाँव ले जाते और फिर उसे शहर में बेच देते.
भैंस द्वारा बनाया गया वो रास्ता आज उस इलाके का मुख्य मार्ग बन चुका था…और बेहद बेढंगा…ऊँचा-नीचा और कठिन होने के बावजूद सब उसी रस्ते पर ख़ुशी-ख़ुशी चल रहे थे.
पर वो जंगल गाँव वालों की ख़ुशी देखकर मुस्कुरा रहा था… क्योंकि वो जानता था जंगल से गाँव जाने का इससे कठिन और कोई रास्ता हो ही नहीं सकता था…. आज एक भैंस की वजह से हज़ारों लोग 30 मिनट के रास्ते को तीन घंटे में बड़ी कठिनाई के साथ पार कर रहे थे…पर फिर भी वे खुश थे.
दोस्तों, आप किस रास्ते पर हैं ? क्या ये आपका सोचा-समझा रास्ता है या कोई illogical path है जिसपर हज़ारों लोग चल रहे हैं और इस वजह से वह logical लग रहा है?
मत स्वीकार करिए उस रास्ते को जो आपने सिर्फ इस लिए चुना है क्योंकि सब उसे ही चुनते हैं…एक बार ठहरिये और समझने की कोशिश करिए…कहीं आप भी 30 मिनट का रास्ता 3 घंटे में तो नहीं cover कर रहे हैं… पूछिए खुद से —
क्या आप सही रास्ते पर हैं?