✊ आओ मित्रो आपको बलिदान की एक ऐसी मिसाल से अवगत करवाते हैं जो दुनियां में शायद ही कहीं मिले:-
♦️ 21 दिसंबर:- श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने परिवार सहित श्री आनंद पुर साहिब का किला छोड़ा।
♦️ 22 दिसंबर:- गुरु साहिब अपने दोनों बड़े पुत्रों सहित चमकौर के मैदान में पहुंचे और गुरु साहिब की माता और छोटे दोनों साहिबजादों को गंगू नामक ब्राह्मण जो कभी गुरु घर का रसोइया था उन्हें अपने साथ अपने घर ले आया।
👉 चमकौर की जंग शुरू और दुश्मनों से जूझते हुए गुरु साहिब के बड़े साहिबजादे श्री अजीत सिंह उम्र 17 वर्ष और छोटे साहिबजादे श्री जुझार सिंह उम्र 14 वर्ष अपने 11 अन्य साथियों सहित धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुए।
♦️ 23 दिसंबर गुरु साहिब की माता श्री गुजर कौर जी और दोनों छोटे साहिबजादे को मुखबरी कर गनी खान और मनी खान के हाथों ग्रिफ्तार करवा दिया गया और गुरु साहिब को अन्य साथियों की बात मानते हुए चमकौर छोड़ना पड़ा।
♦️ 24 दिसंबर:- तीनों को सरहिंद पहुंचाया गया और वहां ठंडे बुर्ज में नजरबंद किया गया।
♦️ 25 और 26 दिसंबर:- छोटे साहिबजादों को नवाब वजीर खान की अदालत में पेश किया गया और उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए लालच दिया गया।
♦️ 27 दिसंबर:- साहिबजादा श्री जोरावर सिंह उम्र 8 वर्ष और साहिबजादा श्री फतेह सिंह उम्र महज 6 वर्ष को तमाम जुल्म ओ जब्र उपरांत जिंदा दीवार में चीनने उपरांत जिबह (गला रेत) कर शहीद किया गया। यह खबर सुनते ही माता गुजर कौर ने अपनी साँसें त्याग दी।
👉 हे माँ भारती के लिए रक्षार्थ स्वयं को बलिदान करने वाले वीर सपूतों तुम्हारे चरणों में अनन्त कोटि कोटि नमन । 🙏🙏
👉 काश आज के भटके हुए कुछ सिख इन महापुरुषों से कुछ सीखे।