ये कहावत हम सभी ने लंबे समय से सुनी है कि "बंद मुट्ठी लाख की, खुली मुट्ठी खाक की" अर्थात यदि मुट्ठी बंद है तो बहुत कीमती है लेकिन मुट्ठी खुल गई तो उसकी कोई कीमत नहीं, ये कहावत लोगों को एकता के लिए हो बनाई गई है और ये कहावत अब हिंदुओं को स्थित को मैच करते हुए यही बताती है कि हिंदू यदि एकजुट रहे तो सुरक्षित रहेंगे आहे बंट गए तो नष्ट हो जायेंगे..
भले ही राजनीतिक गलियारों से या मीडिया के विशेषज्ञों से आज योगी जी के उस महावाक्य "बंटेंगे तो कटेंगे" का अलग-अलग तात्पर्य बताया जा रहा हो लेकिन उसकी पूर्ण सत्यता यही है कि "हिंदुओं! यदि तुम आपस में जाति में, भाषा में, क्षेत्रवाद में बंटे रहे (जैसा कि विधर्मी चाहते हैं) तो तुम्हें विधर्मियों द्वारा नष्ट कर दिया जाएगा" । हिंदुओं को इस सत्य को स्वीकार करना होगा और एकजुट होकर धर्म और राष्ट्र को मजबूती देते हुए अधर्म के विनाश हेतु आगे बढ़ना होगा...