देखिए प्राचीन आयुर्विज्ञान और ऋषियो ने प्रारंभ से ही ब्रह्ममुहूर्त में उठने और रात्रि में सोने का उपदेश दिया।सूर्य के प्रकाश से ही शरीर की जैविक घड़ी सक्रिय होती है। इसे बदलने की चेष्ठा में हम मात्र अपनी प्रकृति और संस्कृति के विरुद्ध नहीं जा रहे, अपितु अपनी सेहत के साथ भी खिलवाड़ कर रहे होते हैं।
सोने/नींद का सबसे उपयुक्त समय कौन-सा है?
प्रकृति ने एक घड़ी मानव शरीर में फिट की है। मानव शरीर की प्रत्येक कोशिका, एक-एक अंग इस जैविक घड़ी के हिसाब से कार्य करते है।
शरीर में यह घड़ी सूर्य के उदित और अस्त होने के मुताबिक कार्य करती है। शरीर का सबसे बड़ा अंग यकृत (Lever) रात 1 बजे से सुबह 3 बजे तक सक्रिय होता है।इस दौरान लीवर शरीर के सारे विषाक्त पदार्थ बाहर निकालकर विषहरण प्रक्रिया करता है। इस समय यदि हम नहीं सो रहे, तो लीवर अपना कार्य नहीं कर पाता और शरीर पाचन संबंधी समस्याओं का घर बन जाता है।यदि सुबह जागने के समय सो रहे हैं, तो भी कई महत्त्वपूर्ण अंगों की कार्यप्रणाली में रुकावट बनते हैं। जैसे- प्रातःकाल 3-5 बजे फेफड़े सर्वाधिक सक्रिय होते हैं। इस समय गुनगुना पानी पीकर सैर या व्यायाम करने से फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध हवा प्राप्त होती है।सुबह 5-7 बजे के दौरान बड़ी आंत के सक्रिय होने से इस अंतराल में मल त्यागना फायदेमंद होता है। ऐसा न करने से ही कब्ज़ आदि की परेशानी देखी जाती है। अगले दो घंटे 7-9 बजे का समय नाश्ते के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय खाया हुआ संतुलित आहार पूरे दिन के लिए ऊर्जा का काम करता है।इसलिए हमेशा सुबह का नाश्ता न छोड़ने की हिदायत दी जाती है।
भारत की जलवायु गर्म होने से दोपहर में भोजन के बाद 10-20 मिनट की पॉवर नैप (झपकी) ले सकते हैं।
सूर्यास्त के समय दो काल बिंदुओं का मिलाप होता है और यह ध्यान-साधना का समय होता है।
सारांशतः सोने का उत्तम समय रात्रि का ही है।
शरीर के लिए भोजन जितना ज़रूरी है, उतना ही अच्छी नींद लेना भी अनिवार्य है। अच्छी नींद, शरीर को पर्याप्त ऊर्जा देती है और दिमाग को शांत रखकर क्रियाशील रहने में मददगार होती है।
अमेरिकन अकादमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार भी अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर व्यक्ति को रोज़ाना रात में सात से आठ घंटे सोना आवश्यक है।
नोट- ध्यान-साधना करने वाले साधकों की नींद योगनिद्रा द्वारा रात की नींद बहुत कम हो जाती है।
सत्य सनातन संस्कृति और अपने ऋषि मुनियों को सादर प्रणाम, जो आज के समय में बिना कुछ खर्च किए इतना बड़ा ज्ञान और बौद्धिक प्रकाश दिया,
ReplyDeleteजय श्री राम