चुनाव प्रचार करना, वोट देने के लिए जागरूक करना , प्रेरित करना ये सब गलत नहीं लेकिन क्या अपने पसंदीदा उम्मीदवार या पार्टी को वोट न देने पर धमकी देना कहां तक उचित है? क्या ये लोकतंत्र के अनुरूप है? आखिर क्यों चुनाव आयोग और प्रशासन ऐसे लोकतंत्र विरोधियों पर कार्यवाही नहीं करता..?
बंटोगे तो कटोगे जैसा सच दुनिया के सामने रखने वालों से दिक्कत होने वालों को भी इन मौलानाओं की धमकियों से कोई समस्या क्यों नहीं होती...?