क्या आप जानत हैं, ज्यादातर साबुनों में जानवरों की चर्बी होती है। भारत के करोड़ों शाकाहारी लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती। लाखों शाकाहारी लोग ऐसे हैं जो मांस पकाने के लिए उपयोग किए गए चूल्हे तक को वर्जित मानते हैं परंतु वही लोग जानकारी के अभाव में जानवरों की चर्बी वाले साबुन से नहाते हैं और फिर खुद को स्वच्छ एवं भगवान की पूजा के लिए पवित्र मान लेते हैं।
यदि आप शाकाहारी हैं और आपके साबुन में जानवरों की चर्बी के बारे में पता करना है तो साबुन के रैपर पर TALLOW शब्द देख लें। टैलो लिखा है तो वह साबुन आपके लिए नहीं है। आपको फिर बिना टैलो वाले साबुन का उपयोग करना चाहिए। या सबसे अच्छा तरीका है की आप गौभक्तों से अथवा गौशालाओं से गौमय साबुन लाकर प्रयोग करें जो पूरी तरह शुद्ध और सात्विक होते हैं। यादि आप उन्हें प्राप्त करने में असमर्थ हैं तो समिति के गैसेवकों द्वारा तैयार शुद्ध सात्विक ,जेहादमुक्त साबुन आप निम्न लिंक पर क्लिक कर पूरे भारत में घर बैठे मंगा सकते हैं।
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शुद्ध सात्विक जेहादमुक्त पंचगव्य साबुन
साधारणतया साबुन में झाग के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन सोडियम लारेल सल्फेट से त्वचा की कोशिकाएं शुष्क हो जाती हैं और कोशिकाओं के मृत होने की संभावना रहती है। यह आंखों के लए अत्यंत हानिकारक है। नहाते समय साबुन यदि आँखों में चला जाये तो इसी रसायन के असर से हमे तीव्र जलन का अनुभव होता है, त्वचा पर खुजली और दाद की संभावना होती है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि कोई भी रासायनिक साबुन त्वचा के लिए लाभदायक नहीं है। लेकिन, साबुन का उपयोग करना बंद नहीं किया जा सकता है ऐसे में हमें गौमय शुद्ध साबुन का प्रयोग करना चाहिए।