डासना मंदिर के महान यति नरसिमहानंद ही अपने बेबाकी के लिए जाने जाते हैं, वो खुलकर लगातार जेहादी और जेहादियों के विरुद्ध बयान देते हैं और हिंदुओं को जागने का प्रयास करते हैं। ऐसे ही काम करने के कारण उनकी जान पर लगातार खतरा बना रहता है, उनके डासना मंदिर पर हमें पुलिस का पहरा होता है, उनपर कई बार जानलेवा हमले भी हो चुके हैं और उनके सर तन से जुदा के नारे भी को बार लगाए गए हैं। एक बार फिर यति जी ने एक बयान से मुसलमानों को हिला डाला और मुस्लिम भीड़ उनके मंदिर पर पहुंच गई
हम नहीं मानते की किसी को किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करनी चाहिए लेकिन सच और झूठ का फैसला तो तरीके से होना चाहिए ऐसे भीडतंत्र से किसी को मार देने का प्रयास कहां तक उचित है? हिंदुओं की तो ना जाने कितनी बार भावनाओं को कुचला जाता है लेकिन क्या हिंदुओं ने कभी ऐसी हरकतें की? क्या हिंदू कभी संविधान और कानून को ताक पर रख फैंसला करके ऐसे निकलते हैं? प्रशासन को ऐसे भीडतंत्र पर रोक लगानी चाइए और सबके अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को सुरक्षित करना चाहिए। बाकी कोई सही बोल रहा है या गलत उसका फैंसला चर्चा से होना चाहिए...यति जी ने जो कहा उसपर भी चर्चा हो सकती है