#राजपाल_यादव जितने भी बॉलीवुड वाले है न, इन सबका एक चिड़ियाघर या कहे जू है और इसके सभी जानवर सिर्फ दीपावली के दिन फूटने वाले पटाखों से डरते है। बाकी एंजॉय करते है। बॉलीवुड में से ज्यादातर कलाकार का मुखौटा उतारकर देखेंगे न, सब कन्वर्टेड है। नाम भले हिंदू हो, बाक़ी नेचर और हाव-भाव विरोधी है। दरअसल, इन्हें इसकी ट्रेनिंग दी जाती है और इसका आयोजन बड़ी बड़ी पार्टियों में होता है।
होली पर पानी, शिवरात्रि पर दूध और दीवाली पर पटाखें ज्ञान, कोई भी उठकर देने दौड़ा आता है। लेकिन यही लोग जानवरों को पकाकर खाने से परहेज नहीं करते और न ही अन्य मजहबों के किसी भी कारनामे पर कुछ नहीं बोलते...
चाहिए मान लें।
जानवर डरते है, तो भाई अपनी ईटिंग प्रोफाइल में लिखें है कि नॉन वेजिटेरियन, तब किन जानवरों को चटकारे लेकर खाते हो?
अच्छा, दीवाली पर जो जानवर डरते है, बाद में उन्हें खा लेते है। सही है न?
अरे मिशनरी हाथों कन्वर्टेड भाई क्रिसमस और हैप्पी न्यू ईयर पर ज्ञान कहाँ जाता है। शायद सेंटा सारे प्रदूषण को डकार लेता है। तभी तो सब चुप रहते है।
उधर, कल से सिस्टमधारी मुंबई भंडारे पर तंज कस रहे है कि जय श्रीराम बुलवाकर खाना दे रहे है।
निजी भंडारे में क्या बुलायेंगे?
आपको पूछें?
टेरेसा सेवा भाव की आड़ में साउथ ब्लॉक को कन्वर्ट कर गई और बदले में कुछ किलो चावल दिए थे। तो वही भारत सरकार भारत रत्न भी दे डाली।
अर्थात् इन सबका लोगों का भाव एक ही है। भारतीयता को खत्म करें। भांड मंडली अपने काम से काम रखो। ठीक है जो लोकप्रियता मिली है। उसका सम्मान करके रहें। ज़्यादा नेचर के रक्षक न बनें।
छोटे पंडित की तरह सबका भूत उतर जाएगा।
हमारे त्यौहार है हमें उनको किस प्रकार मनाने है हमें अच्छी तरह पता है तुम्हें ज्ञान देने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारे सब्र की सीमा अब टूट रही है
#प्रोफेसरलेक्चर