▪︎ पहले, टीटीडी (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) प्रसाद बनाने के लिए नंदिनी (जो कि कर्नाटक का एक प्रतिष्ठित दूध ब्रांड है) से ₹900 प्रति किलो की उचित दर पर अच्छी गुणवत्ता वाला गाय का घी खरीदता था।
▪︎ आंध्र में जगन मोहन रेड्डी के सत्ता में आने के बाद, उन्होंने अपने मामा सुब्बा रेड्डी को टीटीडी का अध्यक्ष बनाया। जगन ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ टीटीडी के अन्य शीर्ष पदों पर भी घुसपैठ की। ये सभी लोग गेर हिंदू हैं (जगन का दावा है कि उनके मामा सुब्बा रेड्डी हिंदू हैं)।
▪︎ सुब्बा रेड्डी ने नंदिनी के साथ अनुबंध रद्द कर दिया और इसे तमिलनाडु की एक संदिग्ध कंपनी को दे दिया। उन्होंने ₹320 प्रति किलो की हास्यास्पद कम दर पर मिलावटी गाय का घी सप्लाई करना शुरू कर दिया।
▪︎ कल्पना कीजिए - क्या आपको इतनी सस्ती दर पर शुद्ध गाय का घी मिल सकता है? यह असंभव है। बाजार में खुदरा मूल्य लगभग ₹1200-₹2500 प्रति किलो (ब्रांड के आधार पर) है। फिर तमिलनाडु की कंपनी पिछले 5 सालों से इसे ₹320 में कैसे बेच रही थी?
▪︎ मुख्य पुजारी ने घी की गुणवत्ता बेहद घटिया और मिलावटी होने की शिकायत की। सुब्बा रेड्डी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। अन्य कर्मचारियों ने भी शिकायत की, लेकिन उन्हें अनदेखा कर दिया गया। लेकिन फिर भी बहुत सारी अफ़वाहें फैलीं और भक्तों ने अक्सर प्रसाद की गुणवत्ता में भारी गिरावट की शिकायत की।
▪︎ पूर्व मुख्य पुजारी ने अब यह भी आरोप लगाया है कि जगन के चाचाओं ने कई पारंपरिक प्रथाओं के साथ छेड़छाड़ की - जिसमें भगवान को खिलाने का समय, प्रसाद की मात्रा, प्रसाद बनाने के दिशा-निर्देश आदि शामिल हैं।
▪︎ जगन के परिवार के सदस्यों ने मंदिर प्रशासन को एक व्यावसायिक उद्यम में बदल दिया और घटिया गुणवत्ता वाले प्रसाद के उत्पादन और वितरण में भारी वृद्धि की, ताकि वे भारी मुनाफा कमा सकें।
▪︎ जुलाई 2024 में जब चंद्रबाबू नायडू सीएम बने, तो उन्होंने तुरंत गुजरात स्थित एक स्वतंत्र निजी लैब में घी की जांच कराने का आदेश दिया। लैब के नतीजों से साफ पता चलता है कि मिलावटी "घी" में गाय का मांस, सुअर की चर्बी, मछली का तेल आदि काफी मात्रा में पाया गया है।
▪︎ लैब की रिपोर्ट नायडू के सीएम बनने के 14 दिन बाद आई। इसलिए यह तर्कसंगत है कि जिस घी की जांच की गई, वह जगन के शासन में खरीदे गए स्टॉक से है।
▪︎ नायडू ने तमिलनाडु की कंपनी से ऑर्डर रद्द कर दिया और नंदिनी से गाय का घी खरीदना फिर से शुरू कर दिया। इसलिए जुलाई 2024 से प्रसाद की गुणवत्ता बहाल हो गई है।
▪︎ जगन की पार्टी के प्रवक्ता कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे पाए हैं। मैं कल पूरे दिन बहस देख रहा था। वे कह रहे हैं कि चूंकि नमूना नायडू के सीएम बनने के बाद लिया गया और जांच की गई, इसलिए वे इसके लिए जिम्मेदार हैं। यह बिल्कुल बेवकूफी भरा तर्क है।
▪︎ अब टीटीडी के भूतपूर्व कर्मचारी खुलकर सामने आ रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि जगन के पिता के सीएम रहते हुए भी मिलावटी घी का इस्तेमाल किया जाता था।
▪︎ जगन और उनके दिवंगत पिता गेर हिंदू कट्टरपंथी हैं। उनके पिता ने सीएम रहते हुए मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण किया था और अपने धर्म के स्थल बनवाए थे।
▪︎ इस तरह भगवान वेंकटेश्वर के क्रोध को झेलने के बाद, जगन के पिता की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई, जब उनका हेलीकॉप्टर उन्हीं पहाड़ियों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
हिंदू जल्द ही इस मामले को भूल जाएंगे और अपने सामान्य जीवन में वापस लौट जाएंगे। एक समुदाय के रूप में, हम एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं, जहां हमारा पूरा ध्यान अच्छी कमाई और आरामदायक जीवन जीने पर है। हमने उन प्रासंगिक मुद्दों की परवाह करना बंद कर दिया है जो हमारे तत्काल अस्तित्व को खतरे में नहीं डालते हैं। हालांकि आगे जाकर यह हमारे अस्तित्व के लिए भयानक खतरा बनने वाला है
लेकिन हम एक समुदाय के रूप में चुप हैं
अब इन नीच व्यक्तियों को सबक सिखाना भगवान वेंकटेश्वर के हाथ में है। क्योंकि हम तो एक नपुंसकों का टोला बनकर रह गए हैं, और तो और हम तो उनके खिलाफ धरने प्रदर्शन तक नहीं कर रहे हैं हमारा कोई संगठन नहीं कर रहा है क्योंकि एक व्यक्ति के धरने प्रदर्शन में कुछ नहीं होता है जो हमारे संगठन है वह भी मर्तप्राय हो गए हैं
हमारे मठाधीश है उनको बड़े-बड़े महलों से निकलने का समय नहीं मिल रहा है
राम मंदिर के उद्घाटन पर जो बड़े-बड़े बातें कर रहे थे ऐसे लगता है उन मठाधीशों के मुंह में भी दही जम गया है