प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि इस तीसरे कार्यकाल में वे कुछ बहुत बड़ा करने जा रहे हैं । मोदी के यह कहते ही पूरे पंडाल में भारी करतल ध्वनि होने लगी । फिर आवाज आई काशी और मथुरा , काशी और मथुरा । मोदी बोलते बोलते रुके और ऑडियंस की ओर देखकर मुस्कुराने लगे ।
प्रवासी भारतीयों ने मोदी मोदी की तर्ज पर काशी मथुरा की लाइन पकड़ ली । बात इतनी ही थी । लेकिन यह पता चल गया कि अयोध्या मथुरा काशी का भारतीय जनजीवन में क्या स्थान है । फर्क नहीं पड़ता कि हिंदुस्तानी कहां रहते हैं , शिक्षा का स्तर कितना है । इस देश की जड़ें अध्यात्म में हैं तो हैं । लोगों के दिलों में एक अमिट छाप डालते हैं राम कृष्ण और भगवान शंकर ।
इस घटना का जिक्र इसलिए किया चूंकि जबरदस्त चुनावी और राजनैतिक माहौल में एक घटना घट गई । इन स्थानों की कोई चर्चा इस समय नहीं चल रही है । चुनाव ने और सारे विषय हर लिए हैं । अपने तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री क्या बड़ा करना चाहते हैं ? अभी पता नहीं । अमेरिका मित्र देश है , उसकी धरती पर अपनों के बीच देश के लिए कुछ बड़ा करने की बात करना महत्वपूर्ण है । कुछ समय पहले भारत के एक और नेता अमेरिका गए थे । देश की छवि को पलीता लगाने का काम कर आए थे । पीएम ने वह सब धोया और अपने बुद्धि कौशल से दुनिया का ध्यान भी खींचा ।
देश की बात कांग्रेस को भी करनी चाहिए । ये हर समय तीखापन दिखाना अच्छी बात नहीं । कांग्रेस समझ ले कि बच्चे बड़े हो जाएं तो मां बाप छोटे नहीं हो जाते । कांग्रेस 140 वर्ष पुरानी पार्टी है । देश की अन्य तमाम पार्टियां कितनी भी बड़ी हो जाएं , कांग्रेस से बड़ी नहीं हो सकती । यह कांग्रेस के सोचने का विषय है कि उसे अपना बड़प्पन कायम रखना है या नहीं । उसका बड़प्पन ऐसे तो नहीं बचेगा । पार्टी में बौने और बद्तमीज नेताओं के जमावड़े से पार्टी का स्तर बहुत गिर चुका है ।
जिस पार्टी की स्थापना एक अंग्रेज , एक पारसी और एक मराठी के प्रयासों से 1885 में 72 लोगों ने की हो , यदि उस पार्टी का जिद्दी रहनुमा विश्वभर के मंचों पर भारत को बदनाम करे तो खुद उसी पार्टी के लोगों को उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ।
आश्चर्य और अफसोस कि बात है कि अपने नेता की घोर गलतियां सामने आ जाने के बाद भी कोई मुंह नहीं खोलता । इसके विपरीत पीएम जब भी विदेश जाते हैं , भारत का कद कुछ और बड़ा कर आते हैं । देश का मान बढ़ाना सभी का दायित्व होना चाहिए ।