पत्रकारिता के नाम पर भारत में कुछ पत्रकार ऐसे काम करते हैं की उनके काम को ही नहीं उनकी शक्ल को देखते ही V K सिंह जी दिया कहा गया शब्द #prestitute याद आ जाता है। कोई कितना गिर सकता है इसका अंदाजा लगाना वर्तमान में तो संभव है ही नहीं। देखिए रवीश कुमार को के वो कैसे रंग बदलता है और बड़ी बेशर्मी से झूठ बोलकर लोगों को मूर्ख बनाता है।
वास्तव में एक पत्रकारों को "कथित पत्रकारों" को जो फॉलो करता है, जो इनकी बातों पर भरोसा करता है वो मूर्ख ही कहलाने लायक है। जो व्यक्ति सोते, उठते सबकी जाति पूछता और बताता है वो राहुल गांधी की जात पूछने पर बिदग गया और लगा ज्ञान बांटने। ऐसे लोगों के इस दोगलेपन को क्या ही कहा जा सकता है।