संविधान कहता है की आदिवासी हिंदू ही हैं और ये बात अब सदन में कानून मंत्री ने संविधान के आधार पर पूरे देश से कही है। अब ये प्रश्न उठता है की को लोग आदिवासी हिंदू नहीं ऐसा कहते हैं क्या वो संविधान विरोधी है? क्या वो बाबासाहेब आंबेडकर को नहीं मानते? तो ऐसे धूर्त षड्यंत्रकारी , संविधान विरोधी लोगों की बात क्या देश की जनता को "राष्ट्रप्रेमियों को" बाबासाहेब और संविधान को मानने वालों को माननी चाहिए..?
ईसाई मिशनरी और विधर्मी तो आदिवासियों को टारगेट करते ही हैं क्योंकि उन्हें उनका मतांतरण करना है। लेकिन देश में ऐसे भी कई मक्कार लोग हैं जो अपने आप को बाबासाहेब अंबेडकर के अनुयाई कहते हैं और संविधान के नाम पर वोट भी लेते हैं, संविधान के नाम पर उछलते भी हैं फिर भी वह संविधान में कही बातों को ही नकारते हैं। ऐसे लोग धूर्त कहने योग्य ही हैं, ये दिखावा बाबा साहेब के अनुयाई होने का करते हैं लेकिन वास्तव में किसी फादर या चादर के पिल्ले होते हैं। ऐसे लोगों से आदिवासी बंधुओं को सावधान रहना चाहिए।