अगर हम आपसे पूछें कि नमक का दरोगा, पूस की रात, पंच परमेश्वर, कफन आदि किसकी कहानियाँ हैं तो आप झट से जबाब देंगे - मुंशी प्रेमचंद....
अपने ५६ वर्ष के लघु जीवनकाल के दौरान मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा कुल २९९ कहानीयाँ लिखी।
यदि हम आपसे पूछें कि ईदगाह किसकी कहानी है, तब भी आप झट से कहेंगे - मुंशी प्रेमचंद.....
क्योंकि हम सभी ने अपने विद्यालयी पाठ्यक्रम में अवश्य ही यह कहानियाँ पढ़ी हैं..विशेषकर भाईचारे का संदेश देती ईदगाह...
परंतु यदि हम आपसे पूछें कि जिहाद किसकी कहानी है?
तब अवश्य ही आप नहीं बता पाएँगे, यदि आपको पाठ्यक्रम से अलग कहानियाँ पढ़ने का शौक नहीं था या है.....
अब अगर हम आपसे कहें कि यह कहानी भी मुंशी प्रेमचंद की ही है, तब आप निश्चित ही आश्चर्यचकित होंगे..
आश्चर्य इस बात का भी है कि किस तरह सुनियोजित तरीके से इस्लाम की बखिया उधेड़ती, इस्लाम के अत्याचार के सामने डरपोक हिन्दू युवक की कायरता व एक अन्य वीर हिन्दू युवक व युवती की निर्भीकता दिखाती कहानी को गुप्त बना दिया.......
मुंशी प्रेमचंद की दूरदर्शिता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि समाज पर आने वाले संकट को उन्होंने ८५-९० वर्ष पहले ही भाँप लिया था!
गुप्त इसलिये ताकि इस्लाम की कलई न खुल जाए.......
ठीक उसी प्रकार जैसे हमारे वास्तविक इतिहास को वामपंथी व कांग्रेसी इतिहासकारों ने तोड़-मरोड़कर व छिपाकर प्रस्तुत किया है.....
यदि समय व धैर्य है तो अवश्य यह लघु कथा पढ़िये और वामपंथी, खांग्रेसियों आदि के मुँह पर मारिये... क्योंकि वामपंथी उनकी लिखी कहानीयों पर अपना हक जताते हैं!
कहानी बतौर PDF फ़ाइल संलग्न है।👇👇👇
https://hindimedia.in/munshi-premchands-story-jihad-brings-forth-the-pain-of-hindus/
👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼
ReplyDelete