सावरकर जी ने कहा था की मुझे मुसलमानों से भय / चिंता नहीं, मुझे अंग्रेजों से भय अथवा चिंता नहीं अपितु भय / चिंता उन हिंदुओं से है जो हिंदू होकर हिंदुत्व के विरुद्ध खड़े हैं। आज ज्योतिर्मठ की गद्दी पर बैठे इस व्यक्ति ने सावरकर जी की बातों पर और गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया। अत्यंत खेद है की आज इतने बड़े पद पर बैठे व्यक्ति के विरुद्ध लिखना पड़ रह है, लेकिन अब पानी सर से ऊपर निकल गया है, अब तो ये कांग्रेस के फेक खबर फैलाने वाले एजेंडे में भी सम्मिलित हो गए हैं...शर्मनाक!
ये कथित शंकराचार्य कभी अतिक अहमद जैसे हैवान के वध पर चिंतित होते हैं तो कभी अपने ही पिता के मूल्यों को उनके वचन को तोड़कर कांग्रेस की गोद में बैठने वाले, साधुओं की हत्या पर न्याय ना दे पाने वाले की हार पर चिंतित हैं उसके साथ कोई विश्वासघात हुवा वो भी इन्हें दिख रहा है लेकिन किसीने अपने ही पिता के साथ विश्वासघात किया वो नही दिख रहा। ऐसे लोगों का ऐसे महान पदों पर विराजमान होना वास्तव में सनातन के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।