जय भीम जय मीम के बारे में तो लगभग सभी जानते हैं वैसे इसके पीछे की सच्चाई से भी जागरूक लोग पूरी तरह परिचित है। कुछ वर्षों पहले एक फतवा जारी किया गया था जिसके अनुशार जय भीम बोलना इस्लाम में हराम कहा गया था लेकिन उस समय कांग्रेस का शासन था तो जय भीम जय मीम वाले एजेंडे में कोई समस्या ना आए इस लिए इस फतवे को हो दबा दिया गया। लेकिन अब फिर वो दबा कुचला फतवा वायरल होने लगा है।
अब चाहे कोई कुछ भी कहे, इस फतवे को ही गलत ठहरा दे लेकिन समझदार व्यक्ति सच्चाई को समझ ही जाएगा। वैसे भी पिछले कुछ समय से अनेकों ऐसी वारदात सामने आ चुकी है जहां दलितों पर कट्टरपंथियों द्वारा हमले किए गए, उन्हें जाति सूचक शब्दों से अपमानित किया, गया उनका जबरन धर्मांतरण करने का प्रयास भी किया गया लेकिन ऐसे मामलों पर जय भीम जय मीम वाले शांत रहते हैं, क्योंकि यहां पीड़ित तो दलित है परंतु प्रताड़ित करने वाला मुस्लिम होता है। हम तो बस यही चाहते हैं कि हमारे दलित बंधु सच को समझ जाएं और इस खतरनाक मकड़जाल से बचने का प्रयास करें।
फतवे के अनुसार जयभीम का उच्चारण गैर इस्लामी है। फतवे में आगे कहा गया कि ऐसे शब्द जिसमें खुदा के अलावा किसी दूसरे की परस्ती का अर्थ निकलता हो जायज नही है।
दारूल अलूम से डॉ. मोहम्मद मेराज खान ने पूछा था कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की परंपरा के अनुसार जयभीम बोलने के संबंध में शरीयत कानून क्या कहना है क्या मुसलमान के लिए ऐसा बोलना जायज है।