हमने अब तक एक भी बार किसी भी शंकराचार्य के विरुद्ध कोई पोस्ट नहीं की क्योंकि हम उस पास के विरुद्ध नहीं जाना चाहते थे, लेकिन अब उद्धव ठाकरे का खुला समर्थन करते देख ये कन्फर्म हो गया की अब शंकराचार्य के पद की गरिमा को उसपर बैठा एक व्यक्ति जो विवादित रूप से शंकराचार्य बना है वो धूमिल कर रहा है।
जब महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं को पीट-पीट कर जब मार डाला गया था, तब बाळासाहेब का पप्पू उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे...
उस समय इंडिआचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद चुप थे... मृत साधुओं के लिए इन्होंने संवेदना तक व्यक्त नहीं की थी...
अब अविमुक्तेश्वरानंद जी कह रहे हैं कि जब तक उद्धव ठाकरे फिर से मुख्यमंत्री नहीं बन जाते, उनकी पीड़ा शांत नहीं होगी...आखिर ये कैसी पीड़ा है जो दो साधू-संतों की निर्मम हत्या पर नहीं होती है??
लेकिन उद्धव ठाकरे की CM की गद्दी छिनते ही भयानक पीड़ा होने लगती है और तब तक शांत न होने का संकल्प लेती है जब तक उद्धव ठाकरे फिर से CM न बन जाएं...
अत्यंत दुखद है की ऐसे लोग शंकराचार्य जैसे प्रतिष्ठित पद पर बैठे हैं