25 लाख रुपए अपनी एक कथा का लेने वालीं देवी चित्रलेखा ..हमें धन,दौलत,संपत्ति का मोह त्यागने को कहती हैं,ख़ुद उन्हीं रुपए से देवी जी ठाट से अमेरिका में घूम रही हैं।
शादी होने के बाद भी स्वयं मांग में सिंदूर नहीं लगाती है और दूसरों से बोलती है शादी शुदा महिला को मांग में सिंदूर लगाना चाहिए और पति की सेवा करना चाहिए, स्वयं साड़ी नहीं पहनती हैं और दूसरों को साड़ी पहनने का ज्ञान देती है
क्या ऐसा नहीं लगता हैं कि इस समय हिन्दू धर्म का जितना सत्यनाश ये कालनेमी कर रहे हैं, उतना इतिहास में गजनवी और औरगंजेब ने भी नहीं किया था .. याद रहे ये वही है जिन्होंने कथा के बीचमें यदि अजान की आवाज आये तो कथा रोकने की सलाह दी थी उस समय हिन्दुओं ने जमकर क्लास भी लगाई थी .. वैसे हिन्दू सब भूल जाते हैं इसलिए ऐसे कालनेमियों का धंधा रुकता नहीं बल्कि फलता फूलता है