बॉलीवुड शुरू से ही भारतीय संस्कृति का विनाशक रहा है और अब धीरे धीरे भारतीय युवाओं को इतना गन्दा बनाने पर तुला है कि आम जनमानस सोच भी नहीं सकता। सारी घटिया और गिरी हुई हरकतों को धीरे धीरे बॉलीवुड के माध्यम से नॉर्मलाइज किया जा रहा है जिससे कोई भी गंदी हरकत बुरी ना लगे अपितु वो साधारण बन जाए जैसे एक लड़के या लड़की के कई सारे लाइफ पार्टनर होना, कइयों के साथ रंगरलियां मनाना।
ऐसे तो कितनी फिल्मों का हम विरोध करेंगे हर फिल्म में एजेंडा ही होता है। अगर बॉलीवुड , जेहादी, मिशनरी और वामपंथियों के घातक खेल से युवाओं को बचाना है तो उन्हें उचित "धर्म-ज्ञान और संस्कार" अनिवार्य रूप से देने ही होंगे। जब युवाओं को धर्म ज्ञान और संस्कार होगा तो उन्हें भान होगा की क्या उचित है और क्या अनुचित। और जब सही , गलत का भान होगा तो कोई एजेंडा उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।