क्या कांग्रेस ने खुदको गब्बर की तरह अत्याचारी और जनता को ठाकुर की तरह पीड़ित मान लिया था?? यादि नहीं तो क्यों बदला शोले का क्लाइमेक्स? Sholay फिल्म का असली क्लाइमेक्स वो नहीं है जिसमें ठाकुर गब्बर को पुलिस के हवाले करता है ...असल में 1975 में भारत में इमरजेंसी लगी हुई थी और शोले फिल्म में अंत में ठाकुर ही गब्बर को जान से मार देता है
लेकिन आपातकाल में हर फिल्म को सरकार को दिखाना जरूरी था तो इंदिरा गांधी के लोगों ने जैसे ही sholay फिल्म को देखा तो उन्हें लगा कि इस से देश में विद्रोह भड़केगा.. इसलिए...
सूचना प्रसारण मंत्री विद्या चरण शुक्ला ने रमेश सिप्पी को आदेश दिया कि इसमें एक व्यक्ति अत्याचार से तंग आकर कानून अपने हाथ में लेता है तो यदि यह फिल्म रिलीज हुई तो लोगों को कानून हाथ में लेने की प्रेरणा मिलेगी
और उन्होंने सिप्पी को मजबूर किया कि वह फिल्म का क्लाइमेक्स बदले और यह दिखाएं ठाकुर ने गब्बर को पुलिस के हवाले कर दिया
sholay फिल्म का असली क्लाइमेक्स यह है आप इसे देखिए जिसमें ठाकुर ही गब्बर को मार देता है
और हां कांग्रेस की तानाशाही के दौर को याद करिए