ज्योतिष शास्त्र कहता है कुंडली में राहु और केतु द्वारा निर्मित बुरे प्रभाव को कालसर्प दोष कहा जाता है. यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में राहु और केतु के बीच में ग्रह आ जाते हैं तो इस दोष को ही कालसर्प दोष कहा जाता और सर्प को केतु का अधिदेवता कहा जाता है सर्प का अर्थ सांप होता है ज्योतिष शास्त्र में राहु को सांप का मुख और केतु को सांप की पूंछ माना गया है, किंतु इसका निवारण किया जा सकता है बहुत धन से पूजा हो ये आवश्यकता नही होती स्वयं से भगवान भोलेनाथ कृपा से इसका निवारण किया जा सकता है.
जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होते हैं इस व्यक्ति को अक्सर सपने में मृत लोग दिखाई देते हैं।
2) जीवन में संघर्ष करना पड़ता है एवं उसे अकेलापन महसूस होता है।
3) कारोबार पर काफी नकारात्मक असर होना हानी का सामना करना पड़ता है।
4) इसके अलावा नींद में शरीर पर सांप को रेंगते देखना, सांप को खुद को डसते देखना।
5) बात-बात पर जीवनसाथी से वाद विवाद होना। विवाह जीवन ग्रस्त रहना
6) काल सर्प दोष के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होता है।
कालसर्प दोष शान्ति के लिए अन्य उपाय
(1) कालसर्प दोष की शान्ति के लिए मुख्य रूप से राहु-केतु आदि ग्रह शान्ति, सर्प दोष, पितृ दोष शान्ति, नागबलि एवं शिव पूजन वैदिक पुराणोक्त विधि से किसी योग्य ब्राह्मण द्वारा करवानी चाहिए एवं विधिपूर्वक महामृत्युञ्जय का जप करना शुभ होगा।
(2) कालसर्प की अरिष्ट शान्ति के लिए शिव मन्दिर में सवा लाख ॐ नमः शिवाय मन्त्र का पाठ करना तथा पाठोपरान्त रूद्राभिषेक करवाने का विशेष महत्त्व है। साथ ही शिवलिंग पर चांदी का सर्प युगल, नाग स्तोत्र एवं नाग पूजादि करके चढ़ाना शुभ होगा।
(3) नाग-गायत्री मंत्र की कम से कम एक या तीन माला जप प्रतिदिन करना
शुभ होगा -
नाग गायत्री मन्त्र -
ॐ नव कुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात् ॥
(4) श्रावण मास में श्री महामृत्युञ्जय मंत्र का सवा लाख जप करवा कर दशांश संख्या का हवन करवाना शुभ होगा!
(5) प्रत्येक शनिवार को एक सूखे नारियल पर सरसों तैल एवं काले तिलों का तिलक लगाकर, मौली लपेटकर अपने शिर से तीन बार घुमा कर ॐ भ्रां श्रीं भ्रौं सः जाप करे एवं अर्पण करे