नेहरू ने जब काशी के मंदिरों की तुलना गुसलखाने यानि बाथरुम से की ...…
बात 1962 के चुनावों की है इसी दौरान नेहरू काशी गया यहां एक भाषण में उनने कहा कि मंदिरों में संगमरमर बहुत लगता है जैसे गुसलखाने में लगता है लोग समझते हैं कि जितना संगमरमर लगाओं चीज उतनी खूबसूरत लगेगी लेकिन संगमरमर देखकर मुझे गुसलखाना याद आता है …
काशी में नेहरू के दिये इस भाषण से हिंदुओं की भावनाएं आहत हुईं कई लोगों ने विरोध किया ...…
लेकिन माफी मांगने के बजाए नेहरू ने इसी दौरान जयपुर की एक चुनावी रैली में फिर से अपने इन विचारों को दोहराया ...…
उन्होंने जयपुर में कहा आज जो मंदिर बनते हैं निहायत निकम्मे है जैसा कि मैंने बनारस में कहा था शायद लोग बुरा मान गये थे यहां मंदिरों की खूबसूरती समझी जाती है कि उसमें ढेर सारा संगमरमर का पत्थर लगा दो संगमरमर अच्छा पत्थर है लेकिन मुझे हमेशा संगमरमर का पत्थर गुसलखाना याद दिलाता है …
हो सकता है कि नेहरू अपने चुनावी भाषण में हिंदू मंदिरों की स्थापत्यकला को लेकर चिंता जता रहे हों और शायद उसी का उदाहरण देकर वो गुसलखाने का जिक्र कर रहे हो ...
लेकिन यही उदाहरण या मिसाल मस्जिदों पर भी लागू हो सकती है मस्जिदों में भी संगमरमर का उपयोग होता है लेकिन शायद नेहरू को मस्जिदों में लगे संगमरमर को देखकर कुछ याद नहीं आता था या फिर उनके अंदर मस्जिदों को लेकर इस तरह की टिप्पणी करने की हिम्मत नहीं थी …
🛑 नोट– काशी और जयपुर में दिये गये भाषण के टेप की स्क्रिप्ट नेहरु मेमोरियल' यानि वर्तमान 'प्रधानमंत्री संग्रहालय' में रखी हुई है और इस ट्रांसस्क्रिप्ट के फाइल नंबर इस प्रकार हैं :
काशी का भाषण – TS No. 10117
जयपुर का भाषण – TS No. 8340
https://twitter.com/epanchjanya/status/1774771899295465803?t=qKNn7I7NicOkxyzVbayJMA&s=19