किसी भी एक्टर को तभी सम्पूर्ण माना जाता है.... जब यह लगने लगे कि वह अभिनय नहीं कर रहा है... किरदार को ही जी रहा है.
रणदीप हुड़्डा कुछ गिने चुने actors में से हैं.. जो किरदार का आत्मसात कर लेते हैं.... चाहे सरबजीत हो या अब सावरकर हो... हुड़्डा ने दिखा दिया है कि Acting क्या होती है.
हुड़्डा ना सिर्फ वीर सावरकर का किरदार निभा रहे हैं, साथ ही इस फ़िल्म का डायरेक्शन और Production भी किया है.
वीर सावरकर एक विवादित चरित्र बना दिया गया है.... लेकिन उनका सच भी दुनिया को जानने की जरूरत है.... एकतरफा प्रोपेगंडा पिछले 8-9 दशकों से चलता आ रहा है... उम्मीद है इस फ़िल्म से कुछ अनकहे अनसुने तथ्य सामने आयेंगे.