स्वातंत्र्य वीर सावरकर ये फिल्म अभी सिनेमाघरों में लगी हुई है लेकिन दुर्भाग्य की इस फिल्म को इतने देशप्रेमी या सावरकर प्रेमी भी नहीं मिले की ये 4 दिनों में 10 करोड़ भी कर सके। हमने ये फिल्म देखी और देखकर कई बातें मन में आया वो हम इस लेख के माध्यम से शेयर कर रहे हैं , इसे अवश्य पढ़ें और निर्णय लें की ये फिल्म देखनी चाहिए या नहीं.? और देखनी चाहिए तो अपने बच्चों को भी अवश्य देखें। सावरकर जी वाकई एक ऐसी हस्ती है जिसे हर राष्ट्रप्रेमी और हिंदुत्व को मानने वाले को जरूर जानना चाहिए।
इस फिल्म में एंटरटेनमेंट नहीं हैं क्योंकि ये एंटरटेनमेंट के लिए बनी ही नहीं, इसलिए यदि आप एंटरटेनमेंट चाहते हैं तो इसे बिलकुल ना देखें और हां जबरदस्ती राष्ट्रभक्ति की बातें करना भी बंद कर दें। फिल्म में VD सावरकर जी के जीवन के संघर्ष को तो दिखाया गया ही है साथ ही उनकी एक बड़ी गलती भी बताई गई है जिससे हमें सीख मिल सकती है। इस फिल्म में काला पानी के दर्द का 1से 10% दिखाया है लेकिन वो भी हम बर्दास्त नहीं कर सकते। इस फिल्म ने M K गांधी को भी बहुत थोड़े में ही साफ साफ तरीके से सामने रख दिया।
सावरकर ने अंग्रेजों पर ये भरोसा किया की वो कानून के अनुशार चलेंगे और इस गलती का भयानक खामियाजा सावरकर जी के साथ साथ आजादी के आंदोलन को झेलना पड़ा और ऐसी ही गलती अभी भी अनेकों राष्ट्रप्रेमी कर रहे हैं उन्हें भी एक कट्टरपंथी विचारधारा में कुछ अच्छाई नजर आ रही है। वैसे पृथ्वीराज चौहान जी को भी गौरी की कसम में सच्चाई नजर आती थी।
पृथ्वीराज चौहान हो या वीर सावरकर जी इनकी गलती जो इनके अच्छाई के कारण हुई उससे अब हमें सीख लेने की जरूरत है।
जो लोग सावरकर जी को माफीवीर कहते हैं वो भी इस मूवी को अवश्य देखें ताकि वो भी किसी पर कीचड उछालने से बच सकें। काला पानी की सजा फिर रत्नागिरी की जेल में सजा फिर सशर्त रिहाई ...इतना संघर्ष शायद ही किसी ने किया हो और अब तो उस संघर्ष के नारे में सोचकर भी आत्मा सिहर उठे। उस दर्द के सामने मौत भी बहुत छोटी लगने लगे।
सावरकर जी के छोटे भाई जो गांधी को मानते थे, बेचारे गांधी की हत्या के बाद मॉब लिंच कर मार दिए गए, और वो अकेले नहीं लगभग 8000 ब्राह्मण चुन चुन कर मार दिए गए।
वैसे गांधी की हत्या के बाद सावरकर जी का जो संवाद दिखाया वो जबरदस्त है... वो देखने में ही आनंद आएगा। गांधी की हत्या के बाद सावरकर जी को भी आरोपी बनाया गया जिस आरोप को 2018 में गलत बताया सुप्रीम कोर्ट ने।
लियाकत अली पाकिस्तानी नेता भरता आता है तब भी सावरकर जी को गिरफ्तार कर लिया जाता है ताकि वो कुछ गड़बग ना करें और सबसे बड़ी बात को 5 दिन की गिरफ्तारी होनी थी लेकिन रिहा करना ही भूल गए और फिर 100 दिन उन्हें जेल में रखा गया।
फिल्म में एक सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट दिखा जो देश की बदकिस्मती है और वो है तिलक जी की मृत्यु, जिसके बाद MK गांधी का कद बहुत तेजी से बढ़ा और उसके बाद क्या क्या हुवा वो बताने की आवश्यकता नहीं है। यदि तिलका जी कुछ वर्ष और जीवित रहते या उनके स्थान पर किसी और राष्ट्रप्रेमी का वो पावर मिला होता तो देश 1947 से पहले ही और पूर्ण स्वराज्य के तर्क पर आजाद होता, ना की भारत को तोड़कर , करोड़ों लोगों की लाशों पर अधूरी आजादी मिलती। "TRANSFER OF POWER" अंग्रेजों से अंग्रेजों द्वारा बनाई गई कांग्रेस को सत्ता ट्रांसफर हुई
सावरकर जी जैसे महान व्यक्तित्व को हर किसी को जरूर जानना चाहिए और रणदीप हुड्डा की इस मेहनत का फल उन्हें मिलना चाहिए ताकि वो आगे और भी ऐसी फिल्म बनाने का विचार कर सकें।
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