आजादी के बाद से ही देश वासियों से उनका असली इतिहास छुपाया गया, अंग्रेजी और अंग्रेजी गुलामी की निशानियों को मजबूती देकर देश को मानसिक रूप से गुलाम बनाए रखा गया। लेकिन अब समय है जब देश करवट बदल रहा है और आजादी के परवानों के पूर्ण स्वराज्य के स्वप्न को साकार करने की तरफ आगे बढ़ रहा है। आजादी की उस लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस ने खून मांगा था "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" लेकिन अब कोई है जो पूर्ण आजादी के लिए बस वोट मांग रहा है "तुम मुझे वोट दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा".. तो वोट जरूर करें और देश तथा धर्म को केंद्र में रखकर करें।
अब देश में नहीं मिलेगा गुलामी को स्थान... सही मायने में गुलामी की बेड़ियों से छूट रहा देश
March 27, 2024
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भारत भले ही अंग्रेजों की कैद से 1947 में आजाद हो गया था लेकिन अंग्रेजियत और गुलामी की निशानियों से अभी भी पूरी तरह आजाद नहीं हो पाया है। 2014 के बाद से भारत की जनता ने एक बड़ा बदलाव किया और उसके बाद से ही गुलामी की बेड़ियों टूटनी शुरू हो गई। मुगलिया और अंग्रेजी कई गुलामी की निशानियों देश में बनी रही जो एक एक कर अब खत्म हो रही हैं। लेकिन इन्हें पूरी तरह खत्म कर देश को मजबूती के साथ खड़ा करना है तो 2014 के बदलाव को बरकरार रखना होगा।