VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचाग
"गीता अध्याय 10 श्लोक 25
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा शाम 05:59 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅दिनांक - 24 फरवरी 2024
⛅दिन - शनिवार
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - माघ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मघा रात्रि 10:20 तक तत्पश्चात पूर्वा फाल्गुनी
⛅योग - अतिगंड दोपहर 01:35 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅राहु काल - सुबह 10:00 से 11:26 तक
⛅सूर्योदय - 07:06
⛅सूर्यास्त - 06:40
⛅दिशा शूल - पूर्व
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:16 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:18 तक
⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:30 से 01:16 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - माघी पूर्णिमा, संत रविदास जयंती
⛅विशेष - पूर्णिमा दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌹 माघी पूर्णिमा : 24 फरवरी🌹
🌹 ऐसे तो माघ की प्रत्येक तिथि पुण्यपर्व है, तथापि उनमें भी माघी पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है । इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर भगवत्पूजन, श्राद्ध तथा दान करने का विशेष फल है । जो इस दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करता है, वह अश्वमेध यज्ञ का फल पाकर भगवान विष्णु के लोक में प्रतिष्ठित होता है ।
🌹 माघी पूर्णिमा के दिन तिल, सूती कपड़े, कम्बल, रत्न, पगड़ी, जूते आदि का अपने वैभव के अनुसार दान करके मनुष्य स्वर्गलोक में सुखी होता है। ‘मत्स्य पुराण’ के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति ‘ब्रह्मवैवर्त पुराण’ का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।
🔹अजीर्ण की निवृत्ति हेतु रखें इन बातों का ध्यान🔹
🔸वर्तमान में अधिकांश लोग पेट के रोगों से, विशेषतः अजीर्ण से ग्रस्त देखे जाते हैं । इसका कारण है भोजन में स्वास्थ्य नहीं बल्कि स्वाद की प्रधानता, भोजन-संबंधी नियमों का अज्ञान या उन्हें शर महत्त्व न देना, भूख से ज्यादा खाना, जले हुए या भलीभाँति न पके भोजन, बासी आहार, पनीर, मावा आदि देर से पचनेवाले पदार्थों का सेवन, देर रात को या जल्दी-जल्दी भोजन करना आदि ।
🔸चरक संहिता के अनुसार पूर्व में सेवन किया हुआ आहार पच जाने पर ही भोजन करना चाहिए । अजीर्ण में भोजन करने से पहलेवाले आहार का अपचित रस बाद के आहार के रस के साथ मिश्रित होने पर सभी दोषों को शीघ्र प्रकुपित करता है । अतः पूर्व का भोजन भली प्रकार पचने पर ही भोजन करें ।
🔸प्रतिदिन पैदल भ्रमण, आसन, व्यायाम आदि करें । खूब चबा-चबाकर भोजन करें । जल्दी- जल्दी भोजन करने से जठराग्नि को भोजन पचाने में अधिक श्रम पड़ता है और पाचक रस भी उचित रूप में उत्पन्न नहीं हो पाता ।
🔸पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है: "पहले का खाया हुआ खाना पचा-न पचा और दूसरा खाया तो आम (कच्चा, अपचित रस) बनेगा । ठाँस-ठाँस के खाया फिर बोले 'एसिडिटी हो गयी, पेट की खराबियाँ हो गयीं...।' कब खाना, कैसे खाना, कितना खाना, क्या खाना, क्या न खाना - इसका बुद्धिपूर्वक विचार करें फिर खायें तो तंदुरुस्त रहेंगे ।
🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹
🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)
🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹
🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।
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