अहिल्याबाई होलकर जिनका इतिहास आज पढ़ाया ही नहीं जाता उनका हमारी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा में अनमोल योगदान रहा। सैकड़ों मंदिर जो मुगल आतंकियों ने तोड़े उन्हें राजमाता ने पुनः बनाया और हमारे मंदिरों के साथ हमारी संस्कृति को जीवित रखा। लेकिन दुर्भाग्य की अब भारत में ही ऐसी व्यक्तित्व के बारे में पढ़ाया नहीं जाता
न्याय, त्याग, नारीशक्ति, वीरता, साहस की प्रतिमूर्ती, महादेव शिव की अनन्य भक्त जिन्होंने सोमनाथ, काशी जैसे अनेकों मंदिरों का जीर्णोद्धार कर सनातन धर्म की ध्वजा को लहराया।
👉 उनका जन्म 31 मई, 1725 को ग्राम छौंदी (अहमदनगर, महाराष्ट्र) में एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता श्री मनकोजी राव शिन्दे परम शिवभक्त थे। अतः यही संस्कार बालिका अहल्या पर भी पड़े।
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