VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 09 श्लोक 08
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - दशमी रात्रि 12:41 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅दिनांक - 06 जनवरी 2024
⛅दिन - शनिवार
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - शिशिर
⛅मास - पौष
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - स्वाती रात्रि 09:23 तक तत्पश्चात विशाखा
⛅योग - धृति 07 जनवरी सुबह 06:10 तक
⛅राहु काल - सुबह 10:04 से 11:24 तक
⛅सूर्योदय - 07:22
⛅सूर्यास्त - 06:09
⛅दिशा शूल - पूर्व
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:36 से 06:29 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:11 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹सफला एकादशी : 07 जनवरी 2024🌹
🔸06 जनवरी रात्रि 12:41 से 07 जनवरी रात्रि 12:46 तक । व्रत उपवास 07 जनवरी रविवार को रखा जायेगा ।
🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸
👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
🔹 सर्दियों में गोमूत्र-सेवन 🔹
🔸 शरीर की पुष्टि के साथ शुद्धि भी आवश्यक है । गोमूत्र शरीर के सूक्ष्म-अतिसूक्ष्म स्रोतों में स्थित विकृत दोष व मल को मल-मूत्रादि के द्वारा बाहर निकाल देता है । इसमें स्थित कार्बोलिक एसिड कीटाणुओं व हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है । इससे रोगों का समूल उच्चाटन करने में सहायता मिलती है । गोमूत्र में निहित स्वर्णक्षार रसायन का कार्य करते हैं । अतः गोमूत्र के द्वारा शरीर की शुद्धि व पुष्टि दोनों कार्य पूर्ण होते हैं ।
🔸 कफ के रोग (जैसे सर्दी खांसी आदि)वायु के रोग, पेट के रोग, गैस, अग्निमान्ध, गठिया, घुटने का दर्द, पीलिया लीवर के रोग, प्लीहा के रोग, बहुमूत्रता, शोथ, जोड़ों का दर्द, बच्चों के रोग, कान के रोग, सर में रुसी, सिरदर्द आदि में उपयोगी ।
🔹सेवन विधिः🔹
🔸 प्रातः 25 से 40 मि.ली. (बच्चों को 10-15 मि.ली.) गोमूत्र कपड़े से सात बार छानकर पियें । इसके बाद 2-3 घंटे तक कुछ न लें । ताम्रवर्णी गाय अथवा बछड़ी के मूत्र सर्वोत्तम माना गया है ।
🔹विशेष : सुबह गोमूत्र में 10-15 मि.ली. गिलोय का रस (अथवा 2-3 ग्राम चूर्ण) मिलाकर पीना उत्कृष्ट रसायन है ।
🔸ताजा गोमूत्र न मिलने पर गोझरण अर्क का प्रयोग करें । 10-20 मि.ली. (बच्चों को 5-10 मि.ली.) गोझरण अर्क पानी में मिलाकर लें ।
(गोझरण अर्क सभी संत श्री आशारामजी बापू आश्रमों व समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है ।) - 📖
🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹
🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)
🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹
🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।
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