VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचाग
"गीता अध्याय 09 श्लोक 27"
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युगाब्द-५१२
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा रात्रि 11:23 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅दिनांक - 25 जनवरी 2024
⛅दिन - गुरुवार
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - शिशिर
⛅मास - पौष
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 08:16 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅योग - विष्कम्भ सुबह 07:32 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅राहु काल - दोपहर 02:14 से 03:37 तक
⛅सूर्योदय - 07:22
⛅सूर्यास्त - 06:21
⛅दिशा शूल - दक्षिण
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:26 से 01:18 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - माघ मास स्नानारम्भ, गुरुपुष्यामृत योग
⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔹सर्वफलप्रदायक माघ मास व्रत🔹
🔹माघ मास 25 जनवरी से 24 फरवरी तक🔹
🔸माघ मास में गुरुदेव का पूजन करते हैं उनको पूरा मास प्रातः स्नान करने का फल प्राप्त होता है ।
(ब्रह्म पुराण)
🔸इस मास में प्रातः पुण्यस्नान, दान, तप, होम और उपवास भयंकर पापों का नाश कर देते हैं और जीव को उत्तम गति प्रदान करते हैं ।
🔸माघ मास में प्रातः स्नान (ब्राह्ममुहूर्त में स्नान ) सब कुछ देता है । आयुष्य लम्बा करता है, अकाल मृत्यु से रक्षा करता है, आरोग्य, स्मृति, बल, सौभाग्य व सदाचरण देता है । निर्मल विद्या व कीर्ति मिलती है । 'अक्षय धन' की प्राप्ति होती है ।
🌹 25 जनवरी 2024 : गुरुपुष्यामृत योग 🌹
🔹पुण्य काल - 25 जनवरी सुबह 08:16 से 26 जनवरी सूर्योदय तक ।
🌹 पुष्य नक्षत्र का गुरुवार से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग' कहलाता है ।
🌹 गुरुपुष्यामृत योग व्यापारिक कार्यों के लिए तो विशेष लाभदायी माना गया है ।
🌹 गुरुपुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है ।
🌹गुरुपुष्यामृत योग में विद्या एवं धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ करना, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना सुलभ होता है ।
🌹गुरुपुष्यामृत योग में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित है ।
🔹कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में🔹
🌹 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें ।
🔹गुरुवार विशेष 🔹
🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।
🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।
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