गजब का उत्साह है भाई। कोई विशाल झंडे बना रहा है, कोई दुनिया की सबसे बड़ी अगरबत्ती बना रहा। कोई सबसे बड़ा ताला लेकर आ रहा है तो कोई 16 किलो का घण्टा कांधे पर लाद कर ले रहा है। एक सज्जन तो सोने का बना घोड़ा भेज रहे हैं। उनका दावा है कि प्रभु श्रीराम के बाद उन्हीं ने राजसूय यज्ञ किया था जिसके लिए उन्होंने इस सोने के घोड़े को बनवाया था।
एक सज्जन जो बिहार के हैं वो अपनी कामधेनु गाय भेज रहे हैं। इस गौमाता की विशेषता है कि ये कभी भी गाभिन नही हुई है लेकिन जितना चाहो और जब चाहो उतना दूध देती है। इस कामधेनु गाय के मालिक का कहना है कि जब से इसका जन्म हुआ है घर मे कभी कोई बीमार नही पड़ा है। इस गाय के दूध को बेचकर उन्होंने तीन माले का भवन बनवाया और एक महंगी गाड़ी भी खरीदी है।
इस गाय के लिए उन्हें एक करोड़ का ऑफर आया था पर वो इसे बेचने के लिए तैयार नही हुए, अब वो चाहते हैं कि इस कामधेनु गाय के दूध से प्रभु राम का आच्छादन हो।
इन भौतिक चीजों के अलावा गीत,कविता , भजन, मूर्ति, चित्रकला और चेतना के विभिन्न आयामों में अद्भुत उत्थान देखने को मिल रहा है। जैसे जैसे 22 जनवरी की तिथि आती जा रही है सिर्फ भारत ही नही विदेशों में भी भारतीय धर्म और दर्शन एक नए शिखर को छूते जा रहा है।।
जय जय श्री सीताराम!!