देवी सरस्वती के लिए नव बौद्धिस्ट मानसिकता (एक और कट्टरपंथ) की शिक्षिका से लड़ने वाले सभी छात्र और अभिभावक धाकड़ और SC/ST समाज से हैं. " एक घृणित मानसिकता बाबासाहेब की आड़ में समाज में नीला जहर घोल रही है"
क्या राजस्थान में अब अब छात्र देवी सरस्वती की पूजा भी नहीं कर सकते? हेमलता बैरवा नामक शिक्षिका ने गणतंत्र दिवस पर नहीं लगाई मां सरस्वती की प्रतिमा. नहीं किया दीप प्रज्वलन. हिंदू धर्म और माता सरस्वती पर की अनर्गल टिप्पणी. छात्र और अभिभावक भड़के.
इस शिक्षिका को किसने ये अधिकार दे दिया कि यह छात्रों और अभिभावकों के साथ दबंगई दिखाए. यह छात्रों को पढ़ाने गई है या नेतागीरी. वीडियो राजस्थान के बारां का बताया जा रहा है।
1. 42 वर्षीय शिक्षिका करीब 20 साल से स्कूल में हैं
2.सवाल ये कि 20 सालों में इन्होंने पहले कभी देवी सरस्वती की फोटो लगाने और दीप प्रज्वलित करने का विरोध किया क्या?
3.फिर अचानक इसी साल गणतंत्र दिवस में उनके अंदर क्रांति की ये आत्मा कैसे घुसी? इन्होंने किस चरमपंथी के कहने पर ऐसा किया?
4.सवाल ये भी कि क्या किसी सरकारी कर्मचारी को ऐसी राजनीतिक नफरत फैलाने वाली राजनीति का हिस्सा बनने की छूट है? क्या यह नियमों का उल्लंघन नहीं है?
इन सबसे बड़ा सवाल ये कि अगर यहां कार्रवाई करके कड़ा संदेश नहीं दिया गया तो नहीं लगता कि ये सिलसिला और आगे बढ़ता जाएगा? क्या इन पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?