VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 08 श्लोक 05
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - दशमी 08 दिसम्बर प्रातः 05:06 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅दिनांक - 07 दिसम्बर 2023
⛅दिन - गुरुवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - हेमंत
⛅मास - मार्गशीर्ष
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - हस्त पूर्ण रात्रि तक
⛅योग - आयुष्मान रात्रि 12:01 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅राहु काल - दोपहर 01:52 से 03:13 तक
⛅सूर्योदय - 07:08
⛅सूर्यास्त - 05:54
⛅दिशा शूल - दक्षिण
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:22 से 06:15 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:05 से 12:58 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹उत्पत्ति एकादशी : 09 दिसम्बर 2023🌹
🌹एकादशी 08 दिसम्बर प्रातः 05:06 से 09 दिसम्बर प्रातः 06:31 तक ।
व्रत उपवास 09 दिसम्बर 2023 शनिवार को रखा जायेगा ।
08 और 09 दिसम्बर दो दिन चावल खाना निषेध ।
🌹 एकादशी व्रत कब रखना इसके पीछे शास्त्रों की सम्मति
🔸भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय एकादशी आदि व्रतों को बेध रहित तिथियों में ही करना चाहिए अर्थात शुद्ध एकादशी में ही व्रत करना चाहिए ।
🔸एकादशी दो प्रकार की होती है सम्पूर्णा तथा विद्धा इसमे विद्धा भी दो प्रकार की होती है पूर्व विद्धा और पर विद्धा ।
🔸पूर्व विद्धा अर्थात दशमी मिश्रित एकादशी परित्यज्य है । सम्पूर्णा एवं विशेष रूप से पर विद्धा (द्वादशी युक्त एकादशी) शुद्ध होने के कारण उपवास योग्य है किन्तु दशमी युक्त एकादशी में कभी भी उपवास नहीं करना चाहिए । - सौरधर्मोत्तर
🔸अरुणोदय काल में अर्थात सूर्योदय से पहले चार दण्ड काल (सूर्योदय से 1 घण्टा 36 मिनट पहले) में यदि दशमी नाममात्र भी रहे तो उक्त एकादशी पूर्व विद्धा दोष से दोषयुक्त होने के कारण सर्वथा वर्जनीय (वर्जित) है । - भविष्य पुराण
🔸द्वादशी मिश्रित एकादशी सर्वदा ही ग्रहण योग्य है । "द्वादशी मिश्रित ग्राह्या सर्वत्रैकादशी तिथिः" - पद्मपुराण
🔸नारद पुराण में वर्णित है कि जिस समय बहुवाक्य विरोध के कारण संदेह उपस्थित हो उस समय द्वादशी में उपवास करते हुए त्रयोदशी में पारण करना चाहिए किन्तु "जिस शास्त्र में दशमी विद्धा एकादशी पालन कि बात कही गयी है वह स्वयं ब्रह्मा जी द्वारा कहे होने पर भी शास्त्र रूप में गण्य नहीं है"। - नारद पुराण
🔸अरुणोदयकाल में दशमी के वेध से रहित एकादशी हो तब उसे शुद्धा एकादशी माना जाता है । - धर्मसिंधु
🔸अग्नि पुराण के अनुसार द्वादशी "विद्धा" एकादशी में स्वयं श्रीहरि स्थित होते हैं, इसलिये द्वादशी "विद्धा" एकादशी के व्रत का त्रयोदशी को पारण करने से मनुष्य सौ यज्ञों का पुण्यफल प्राप्त करता हैं । जिस दिन के पूर्वभाग में एकादशी क्लामात्र अविशिष्ट हो और शेषभाग द्वादशी व्याप्त हो, उस दिन एकादशी का व्रत करके त्रयोदशी में पारण करने से सौ यज्ञों का पुण्य प्राप्त होता है । दशमी - विद्धा एकादशी को कभी उपवास नहीं करना चाहिये; क्योंकि वह नरक की प्राप्ति करानेवाली है । - अग्नि पुराण
🔸पद्मपुराण में भगवन नारायण एवं ब्रह्मा जी के संवाद में वर्णित है की दशमी विद्धा एकादशी दैत्यों कि पुष्टिवर्द्धनी है इसमें कोई संदेह नहीं ।
🔸उक्त पुराण में ही उमा महेश्वर संवाद में देखा जाता है जो लोग दशमी विद्धा एकादशी का अनुष्ठान करते हैं वह निश्चय ही नरकवास कि इच्छा करते हैं ।
🔸प्रायः सभी शास्त्रों में दशमी से युक्त एकादशी व्रत करने का निषेध माना गया है । यदि शुद्धा एकादशी दो घड़ी तक भी हो और वह द्वादशी तिथि से युक्त हो तब उसे ही व्रत के लिए ग्रहण करना चाहिए । दशमी से युक्त एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए ।
🔸सामान्य जन साधारण को शुद्धा एकादशी का व्रत रखना ही पुण्यदायक माना गया है ।
🔸गरुड़ पुराण के अध्याय 125 वें में कहा गया है कि गांधारी ने दशमी से युक्त एकादशी (विद्धा एकादशी) का व्रत रखा था ऐसा करने पर उसने अपने सभी पुत्रों का वध अपने जीवनकाल में ही देख लिया । इसलिए दशमी से युक्त एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए । अगर कभी ऐसा होता है कि किसी महीने में दशमी से युक्त एकादशी पड़ती है तो मन में संदेह न रखें बल्कि द्वादशी का व्रत रखकर त्रयोदशी में पारण कर दें ।
🔹गुरुवार विशेष 🔹
🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
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