VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 08 श्लोक 02
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी रात्रि 12:37 तक तत्पश्चात नवमी
⛅दिनांक - 05 दिसम्बर 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - हेमंत
⛅मास - मार्गशीर्ष
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी 06 दिसम्बर प्रातः 03:38 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅योग - विष्कम्भ रात्रि 10:42 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅राहु काल - दोपहर 03:12 से 04:33 तक
⛅सूर्योदय - 07:06
⛅सूर्यास्त - 05:54
⛅दिशा शूल - उत्तर
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:21 से 06:13 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:04 से 12:57 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - योगी अरविंद पुण्यतिथि, कालभैरव जयंती
⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹सर्दियों में उपयोगी पुष्टि व शक्तिवर्धक प्रयोग🔹
🔸१] २५ ग्राम देशी काले चने धोकर रात को १२५ मि.ली. पानी में भिगो दें । सुबह इन चनों को खूब चबा – चबाकर खायें, साथ में किशमिश भी खा सकते हैं । ऊपर से चने के पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पी जायें । शरीर बलवान व शक्तिशाली होता है तथा वीर्य पुष्ट होता है ।
🔸२] ५० ग्राम गोंद को घी में तल लें । ५० – ५० ग्राम अजवायन, काले तिल व मूँगफली के दानों को अलग – अलग भूनकर सभीको कूट लें । फिर इस मिश्रण को तथा किसे हुए ५० ग्राम सूखे नारियल (खोपरा) को ७५० ग्राम गुड़ में मिला के रख लें । सुबह खाली पेट ५० ग्राम मिश्रण खूब चबा – चबाकर खायें ।इसके १ – २ घंटे बाद हलका सुपाच्य भोजन करें । इससे शरीर पुष्ट होता है, बल-वीर्य की वृद्धि होती है । वायुरोग, बहुमुत्रता व बच्चों की बिस्तर में पेशाब करने की समस्या में भी लाभ होता है ।
🔹तुलसी की जीवन में महत्ता व उपयोगिता🔹
🔸‘स्कंद पुराण’ (का.खं. :२१.६६) में आता है : ‘जिस घर में तुलसी – पौधा विराजित हो, लगाया गया हो, पूजित हो, उस घर में यमदूत कभी भी नहीं आ सकते ।’
🔸जहाँ तुलसी – पौधा रोपा गया है, वहाँ बीमारियाँ नहीं हो सकतीं क्योंकि तुलसी – पौधा अपने आसपास के समस्त रोगाणुओं, विषाणुओं को नष्ट कर देता है एवं २४ घंटे शुद्ध हवा देता है । वहाँ निरोगता रहती है, साथ ही वहाँ सर्प, बिच्छू, कीड़े-मकोड़े आदि नहीं फटकते । इस प्रकार तीर्थ जैसा पावन वह स्थान सब प्रकार से सुरक्षित रहकर निवास-योग्य माना जाता है । वहाँ दीर्घायु प्राप्त होती है ।
🌹 ‘तुलसी निर्दोष है । सुबह तुलसी के दर्शन करो । उसके आगे बैठे के लम्बे श्वास लो और छोड़ो, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, दमा दूर रहेगा अथवा दमे की बीमारी की सम्भावना कम हो जायेगी । तुलसी को स्पर्श करके आती हुई हवा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है और तमाम रोग व हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है ।’
🔸तुलसी रोपने तथा उसे दूध से सींचने पर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । तुलसी की मिट्टी का तिलक लगाने से तेजस्विता बढ़ती है ।
🔸दूध के साथ तुलसी वर्जित है, बाकी पानी, दही, भोजन आदि हर चीज के साथ तुलसी ले सकतें हैं । रविवार को तुलसी ताप उत्पन्न करती है, इसलिए रविवार को तुलसी न तोड़ें, न खायें । ७ दिन तक तुलसी – पत्ते बासी नहीं माने जाते ।
🔸विज्ञान का आविष्कार इस बात को स्पष्ट करने में सफल हुआ है कि तुलसी में विद्युत् – तत्त्व उपजाने और शरीर में विद्युत् – तत्त्व को सजग रखने का अद्भुत सामर्थ्य है । थोडा तुलसी – रस लेकर तेल की तरह थोड़ी मालिश करें तो विद्युत् – प्रवाह अच्छा चलेगा ।
🌹 श्रीमद् भगवद्गीता माहात्म्य 🌹
🌹 जो मनुष्य भक्तियुक्त होकर नित्य एक अध्याय का भी पाठ करता है, वह रुद्रलोक को प्राप्त होता है और वहाँ शिवजी का गण बनकर चिरकाल तक निवास करता है ।
🌹 जो मनुष्य गीता के दस, सात, पाँच, चार, तीन, दो, एक या आधे श्लोक का पाठ करता है वह अवश्य दस हजार वर्ष तक चन्द्रलोक को प्राप्त होता है । गीता के पाठ में लगे हुए मनुष्य की अगर मृत्यु होती है तो वह (पशु आदि की अधम योनियों में न जाकर) पुनः मनुष्य जन्म पाता है ।
🌹 जो पुरुष इस पवित्र गीताशास्त्र को सावधान होकर पढ़ता है वह भय, शोक आदि से रहित होकर श्रीविष्णुपद को प्राप्त होता है ।
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