मीडिया रिपोर्ट्स के अनुशार बताया जा रहा है की इस घटना में मृत महिला के पति के द्वारा ये आरोप भी लगाया गया है कि महिला की आँखों के आलावा उसके शरीर के अन्य अंग भी गयाब है। मृत महिला का शव पोस्टमार्टम हाउस पर फ्रीजर में रखा गया था। इसके बाद शव का पोस्टमार्टम सरकारी डॉ आरिफ और डॉ उवैस ने किया। फिर जब परिजनों ने शव लिया तो उनके होश उड़ गए क्योंकि शव से दोनों आंखें गायब थी।
जिसके बाद परिजनों ने जिले के डीएम से संपर्क किया और उन्हें सारी घटना के बारे में बताया , तब प्रशासन ने तुरंत एक्शन लिया। डीएम के आदेश अनुसार शव के दुबारा पोस्टमार्टम करवाने के लिए एक 3 डॉ के पैनल को तैयार किया गया।
बता दें कि पुलिस द्वारा जाँच करने पर दोनों डॉक्टर दोषी पाए गए हैं। पहली बार पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम की धारा 18 और आईपीसी की धारा 297 (मानव भावनाओं को ठेस पहुंचाने) के तहत मामला दर्ज किया गया है।