🙏 गुरु परिवार का बलिदान
👉 हिंदुओं के लिए 21 दिसंबर से 27 दिसंबर का समय गुरु परिवार और उनके सहयोगियों के बलिदान को याद करने और बच्चों को उनके शौर्य साहस को बताने का सप्ताह है न की Santa Claus के रूप में जोकर बन कर घूमने का और Christmas का जश्न मनाने का।
🤦♂️ परन्तु अफसोस है कि हम मुगल शासकों और अंग्रेजी हुकुमत की बरसों-बरस की गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी, उनके पिता गुरु तेगबहादुर जी, चारों बेटे ‘साहिबजादा अजित सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फ़तेह सिंह और माता गूजरी जी के बलिदान को भुला बैठे हैं।
👉 21 दिसम्बर से लेकर 27 दिसम्बर तक, इन्ही 7 दिनों में गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा परिवार शहीद हो गया था। 21 दिसम्बर को गुरू गोविंद सिंह द्वारा परिवार सहित आनंदपुर साहिब किला छोङने से लेकर 27 दिसम्बर तक के इतिहास को आज याद करने की जरूरत है।सही मायने में सिख धर्म के अनुयायी इस हफ्ते में ज़मीन पर सोते हैं । क्योंकि माता गूजरी कौर ने वो रात दोनों छोटे साहिबजादों (जोरावर सिंह व फतेह सिंह) के साथ, नवाब वजीर खां की गिरफ्त में – सरहिन्द के किले में एक ठंडी बुर्ज में गुजारी थी।
🔹 21 दिसंबर: श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने परिवार सहित श्री आनंद पुर साहिब का किला छोड़ा।
🔹22 दिसंबर: गुरु साहिब अपने दोनों बड़े पुत्रों सहित चमकौर के मैदान में पहुंचे और गुरु साहिब की माता और छोटे दोनों साहिबजादों को गंगू जो कभी गुरु घर का रसोइया था उन्हें अपने साथ अपने घर ले आया।चमकौर की जंग शुरू हुई और दुश्मनों से जूझते हुए गुरु साहिब के बड़े साहिबजादे श्री अजीत सिंह उम्र महज 17 वर्ष और छोटे साहिबजादे श्री जुझार सिंह उम्र महज 14 वर्ष अपने 11 अन्य साथियों सहित धर्म और देश की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुए।
🔹 23 दिसंबर : गंगू गद्दारी करते हुए गहने एवं अन्य सामान चोरी करने के उपरांत तीनों (गुरु साहिब की माता गूजरी जी और दोनों छोटे साहिबजादे) की मुखबरी मोरिंडा के चौधरी गनी खान से की और तीनो को गनी खान के हाथों गिरफ्तार करवा दिया।गुरु साहिब को अन्य साथियों की बात मानते हुए चमकौर छोड़ना पड़ा।
🔹 24 दिसंबर : तीनों को सरहिंद पहुंचाया गया और वहां ठंडे बुर्ज में नजरबंद किया गया।
🔹25 और 26 दिसंबर: छोटे साहिबजादों को नवाब वजीर खान की अदालत में पेश किया गया और उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए लालच दिया गया।
🔹27 दिसंबर: साहिबजादा जोरावर सिंह उम्र महज 8 वर्ष और साहिबजादा फतेह सिंह उम्र महज 6 वर्ष को अनगिनत यातनाओं के बाद जिंदा दीवार में चुनवाने के उपरांत जिबह (गला रेत) कर शहीद किया गया और खबर सुनते ही माता गूजरी ने अपने प्राण त्याग दिए।
👉 स्वयं सोचिए और विचार करिये कि क्या यह सप्ताह हम हिंदुओं के लिए Christmas मनाने का है!!! या फिर गुरु परिवार और हिन्द के साहिबज़ादों के बलिदान को याद करने का
👉 यह निर्णय आप को करना है कि 25 दिसंबर (क्रिसमस) को मानते हैं या फिर आने वाली पीढ़ी को इस शौर्य-बलिदान से परिचित कराते हैं।
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