इसकी नींव में अनेक महापुरुषों का परिश्रम जमा है !
मंदिर के लिए समर्पित केशव परासरन की बाबत बताती हैं पूर्णिमा !
वे लोग जिनके जीने का उद्देश्य बन गया मंदिर !
राममंदिर की बात हो और पंडित "केशव परासरन" के योगदान की चर्चा ना हो !
राम मंदिर का केस लड़ने वाले ये महान व्यक्ति हैं जो कभी भी सुनवाई के दौरान कोर्ट में जूता पहनकर नहीं गए । लगभग 50 सालों तक चले इस मुकदमे में वो मात्र 5 घंटे ही सोते थे। ऐसे में एक वक्त ऐसा आया जब इनकी आंखें एक दम खराब हो गईं ।
डॉक्टर ने कहा कि आप तुरंत चेन्नई जाकर अपनी आंखों का इलाज करवा लीजिए। लेकिन ये रामलला का मुकदमा बीच में छोड़कर नहीं गए । जब राममंदिर का फैसला आने वाला था, तो अपने पूरे परिवार के साथ नहा धोकर बिना अन्न-जल ग्रहण किए पूरे दिन टेलीविजन के सामने बैठे रहे । टीवी पर जैसे ही राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया पूरे परिवार ने एक साथ "जय श्री राम" और "हर हर महादेव' के नारों से वातावरण को "राममय" कर दिया।
यह तस्वीर उसी समय की है !
कथाएं अभी कईं बाकी हैं !
#सबके_राम_सबमें_राम🚩🚩
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