इसी प्रकार के मिलते जुलते गाने आजकल लोकप्रिय हो रहे और कर्णप्रिय भी लग रहे ।
बहुत से विद्वानों को आपत्ति हो रही है कि राम तो सदैव विद्यमान हैं तो #रामआयेंगे कहना उचित नहीं है अथवा विद्वत्समाज को ऐसी बातों से दूर रहना चाहिये ।
एक घटना है जो कि महात्मा लोग अपनी कथाओं में सुनाते रहते हैं । घटना कुछ इस प्रकार की है कि विवाह पंचमी पर कोई सीता राम के विवाह का मंडप तैयार कर रहा था और उसमें चमकीली पन्नियाँ लगा रहा था । लोगों ने कहा उस समय इस प्रकार की पन्नियाँ तो होती नहीं थी तो तुम क्यों वैसी पन्नियाँ लगा रहे हो ?
तब वह बोला कि जनक के राज में मंडप कैसा सजा था उससे उसे कोई लेना देना नहीं है । यह उसका मंडप है । उसके सीता राम का विवाह हो रहा है और वह अपनी भावना के अनुसार मंडप सजायेगा ।
हम सब रामनवमी को पुनः गाते हैं “ भय प्रकट कृपाला “ ।बार बार गाते हैं ।
अथवा जन्माष्टमी को नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाला की .. यह सब #रामआयेंगे अथवा #राम_आ_रहे का ही स्वरूप है ।
मित्रों ,
चैतन्य, नित्य होता है और नूतन होता है ।नित्य नूतन ।
सूर्य , हर प्रातः नया होता है और उसकी नित्य नूतन पूजा होती है ।
राम, त्रेता में भी आये , राम हैं भी और राम आगे भी आयेंगे जैसे सूर्य त्रेता में भी निकला , आज भी निकला और कल भी निकलेगा ।
अतः मेरी मति के अनुसार इन लुभावने गानों में कोई कमी नहीं है ।