कुछ लोगों ने शुरू में ही अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने वाले "समझौते" का विरोध किया था। इस समझौते के परिणाम अब दिखने लगे हैं।
मुस्लिम समुदाय ने बहुत ही चतुराई, रणनीति और शान्ति से काम लिया था। पहले तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़कर मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन ले ली। उसके बाद धीरे धीरे आराम से इसके आसपास की जमीनें खरीदते गए और राम मंदिर को लेकर कोई उग्रता नहीं दिखाई।
अब जबकि राम मंदिर लगभग पूर्णता की तरफ अग्रसर है, तब मुस्लिम समुदाय की "योजनाएं" सामने आने लगी हैं।
पहले यह मस्जिद 11,000 स्क्वेयर फुट में बनने वाली थी, परन्तु अब यह तीन गुनी जमीन पर बनेगी और ज़ाहिर है कि इतनी भव्य और विशाल बनेगी कि आने वाले वर्षों में यह इस्लाम का प्रमुख केंद्र भी बन सकती है, क्योंकि कहा जाता है कि मक्का-मदीना के इमाम सबसे पहले इसमें नमाज पढाएंगे!!
अगले दस-बीस वर्षों में जैसे राम मंदिर हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन जाएगा, ठीक वैसे ही वहां से चंद किमी दूर "मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह अयोध्या मस्जिद" भी मुस्लिमों के लिए एक विशेष स्थान बन जाएगा।
पुरी के शंकराचार्य जी ने आशंका व्यक्त की है कि राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट से निर्णय लेने और मंदिर बनाने की जल्दबाजी के कारण अब हमें अयोध्या में एक विशाल भव्य मस्जिद तथा मुस्लिमों की भारी भीड़ देखने को मिलेगी।