क्या कभी आपका बस की सबसे पीछे वाली सीट पर बैठने का मौका लगा है?
यदि नही, तो कभी गौर कीजिएगा.. और यदि हां, तो आपने महसूस किया होगा कि पीछे की सीट पर धक्के ज्यादा महसूस होते है।
चालक तो सबके लिए एक ही है.. बस की गति भी समान है.. फिर ऐसा क्यों?
मान्यवर.. जिस बस में आप सफर कर रहे है उसके चालक से आपकी दूरी जितनी ज्यादा होगी, आपकी यात्रा में धक्के भी उतने ही ज्यादा होंगे।
आपकी जीवन यात्रा के सफर में भी जीवन की गाड़ी के चालक परमपिता से आपकी दूरी जितनी ज्यादा होगी, आपको ज़िन्दगी में धक्के उतने ही ज्यादा खाने पड़ेंगे। अपनी रोज़ की दिनचर्या में यथासंभव कुछ समय अपने आराध्य के समीप बैठिये और उनसे अपने मन की बात एकदम साफ शब्दों में कहें। आप स्वयं एक अप्रत्याशित चमत्कार महसूस करेंगे।
जय श्री कृष्ण 🦯