हिन्दूओं! तुम्हें, फैमिली प्लानिंग से परे बहुत संतान उत्पन्न करने की आज्ञा दे रहे हैं महर्षी चरक।
बहुत संतान वाला मनुष्य बहुमत वाला होकर समाज में लोगों के मध्य पूजनीय हो जाता है। जो मनुष्य वृक्ष की भाँति बहुत शाखाओं (संतति) वाला हो जाता है (पुत्र-पौत्र अधिक होने से वंश विस्तार भी अधिक होता है), वह बड़े चैत्य (देवायतन वा देवमन्दिर) जैसा बहुत संतानों के कारण पूज्य हो जाता है।
- (१/१०, चिकित्सास्थानम्, चरकसंहिता।) प्रभुतशाखः शाखीव येन चैत्यो यथा महान्। भवत्यर्च्यो बहुमतः प्रजानां सुबहुप्रजः।। 10।।
आचार्य ने स्पष्टतः बहुमत का संकेत किया है। समाज में बहुमत के महत्व को रेखांकित किया है। सीधा कहा है कि बहुत संतानों के बलपर ही बहुमत आयेगा। और चुँकि इस बहुमत की चर्चा आयुर्वेद के ग्रन्थ में है, तो निश्चय ही पुर्व पुरुषों की देखभाल करने के लिए बहुमत युक्त परिवारों अर्थात अधिक सँख्या वाले संयुक्त परिवारों की आवश्यकता होती है, यह भी समझना आवश्यक है।
बड़ा परिवार होने पर वृद्धों को वृद्धाश्रम भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। घर में कोई न कोई देखभाल करता ही है। किन्तु संयुक्त परिवार पालने के लिए मन बड़ा करना पड़ता है, बड़प्पन सीखना पड़ना है, अन्यथा यह संभव ही नहीं।
वैैद्य जयदेव विद्यालङंकार इस श्लोक का भाष्य करते हुए लिखते हैं कि जिसकी संतान परम्परा अधिक होती है, वह बहुमत वाला होता है- बहुतों से आदरणीय होता है। आप ऐसे भी देख सकते हैं कि जिसके घर अधिक वोट होता है, उस परिवार पर सभी राजनीतिक दलों की दृष्टि होती है, सभी वहाँ मत्था टेकने जाते ही हैं।
किसी विषय पर विचार करने के लिए अपने ही घर में बहुत सी मतियाँ होती हैं, जिनपर विचार से व्यक्ति एक सत्य निर्णय कर सकता है, अथवा, एक ही घर में बहुत से वोट हो जाते हैं, तो, इसके द्वारा कोई चुनाव के द्वन्द्व में विजय पा सकता है, तथा जिस प्रकार देवालय में बहुत सी देवी-देवताओं की स्थापना हो वहाँ बहुत से लोग पूजा के निमित्त आते हैं, वैसे ही जिस परिवार में बहुत से जन हों, वह भी बहुतों का पूज्य होता है- उसका परिचय बहुत अधिक विस्तृत हो जाता है।
अतः छोटा परिवार सुख का आधार, हम दो हमारे दो, के मदमोहक नारे से बाहर निकलें और अपने बहुमत का विचार करें। अपने परिवार को बड़ा करने का विचार करें। परिवार बड़ा होगा, तो, नाम भी बड़ा होगा, पहचान भी बड़ी होगी और प्रभाव भी बड़ा होगा। आपके बड़े होने से यह देश महान होगा। भारत की जनसँख्या की मांग विदेशों में दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, अतः छोटी बातों, तर्कों और विचारों में न पड़ें, पुरुषार्थ करें, परिवार बढ़ाएँ, इसी से देश आगे बढ़ेगा। महर्षी चरक की जय हो।
साभार~ मुरारी शरण शुक्ला जी💐
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