दिव्य सनातनियों हम मानसिक गुलाम नहीं होने चाहियें... अंग्रजों और हमारी संस्कृति में जमीन आसमान का अन्तर हैं।
वो पश्चिम हैं- हम पूर्व हैं। जहाँ ज्ञान का, सूर्य का उदय होता....
हम ऋषियों की संताने हैं, हम "ऋषिपुत्र" हैं।
तो हम अपने वर्ष के केवल प्रथमा दिन को ही आदर्श - गौरव पुर्ण तरीके से क्यों नहीं मनाते। क्यों हम प्रथमा दिन श्रेष्ठ आचरण नहीं कर पाते ??!!!
क्या हमारे खून में मिलावट हो गई है ??!!!!
क्या हमारी स्मृति इतने निम्नस्तर की हो गयी है कि हम अपने पूर्वजों को, अपने गौरवशाली इतिहास को भूल गये हैं....
जो आज भी अंग्रेजों की गुलामी की देन उनके गैर प्राकृतिक न्यूईयर को गैर मर्यादित आचरण शराब माँस अय्याशी से मनाते हैं। धिक्कार है तुम पर.... डूम कर मर जाओ कहीं.....अगर आँखों में तनीक भी लज्जा शेष है तो....
अवलोकन करें.....
25 दिसम्बर को यसू मसीह पैदा हुये.... बधाई हो। 1जनवरी को उनका खतना हुआ.... ठीक है। तो इसमें हमारा नववर्ष कैसे ??!!!!
लिंग छेदन्न हुआ उनका तो इसमें मेरा नववर्ष कैसे ??!!!
मैं क्यूँ और किस आधार पर खुशियाँ मनाऊँ !!!!!!!
"खत्ना दिवस संस्कार" कैसे और क्यों अपने बेटा- बेटी में रोपित करूँ ?!!!
ऐसी क्या मजबूरी मेरी !!!???
मैं आजाद, स्वतंत्र देश का वासी हूँ.... ये स्वतंत्रता खेरात में नहीं मिली। करोड़ो करोड़ों शिश बलिदान किये हैं हमारे पुर्वजों ने अंग्रेजों के विरूद्ध, आताताई बर्बर जाहिल आतंकियों के विरूद्घ.....
किसलिये.... ??!!!!!
क्या इसलिये कि उनके लिंगछेदी खतना दिवस पर हम अपने परिवार से दूर शराब हाथ में, माँस मुहँ में और कुछ तो पराई मजबूर बहन बेटियों से लिपटकर..... मनाते हैं तथाकथित नववर्ष.....
ये शब्द मात्र लिखने भर से पिड़ा, पछताचाप व आक्रोश से भर गया हूँ.... जबाड़ा भिच्च गया है..... और एक शब्द भी लिखने की ईच्छा नहीं बची.....
अगर खुद को अपने पूर्वजों का अंश मानते हो और वास्तव में हो..... तो उनके दिखाये मार्ग पर चलो।।
सनातन नववर्ष चैत्र प्रतिपदा।।
जय श्री राम भारत ऋषिधरा के ऋषिपुत्रों🕉️🚩